झूठ और भ्रम के पांव नहीं होते। वो पल भर में उड़कर कहीं से कहीं पहुंच जाते हैं। लेकिन झूठ और भ्रम का स्रोत अगर देश की सरकार ही बन जाए तो उस देश का बेड़ा गरक होने लगता है। केंद्र सरकार का एक मंत्रालय है सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय। इसने देश के आर्थिक व औद्योगिक विकास का दो तरह का डेटा पेश किया है। एक है नेशनल एकाउंट्स स्टैटिसटिक्स (एनएएस) और दूसरा है एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज़ (एएसआई)। एनएएस के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 से 2021-22 के दौरान देश में सकल स्थाई पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) औसतन 5.3% सालाना और निवल या शुद्ध स्थाई पूंजी निर्माण (एनएफसीएफ) 6.9% सालाना की दर से बढ़ा है। वहीं, एएसआई के डेटा के मुताबिक जीएफसीएफ और एनएफसीएफ इस दौरान क्रमशः सालाना 1.6% और 9.6% की दर से घटे हैं। पूंजी निर्माण का आंकड़ा देश में हो रहे पूंजी निवेश को दिखाता है। सवाल उठता है कि एनएएस और एएसआई के आंकड़े में से किसको सही माना जाए? उद्योगों के सालाना सर्वे से निकली ज़मीनी हकीकत यह है कि देश में 2014-15 के बाद से ही शुद्ध पूंजी निवेश नहीं हो रहा और मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता जहां की तहां अटकी पड़ी है। डिमांड-सप्लाई को भरने के लिए जमकर औद्योगिक आयात हो रहे हैं, वो भी मुख्यतः चीन से, जो हमारे लिए सबसे बड़ा राष्ट्रीय सामरिक खतरा बना हुआ है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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