साल 1980 में चीन का जीडीपी भारत का 1.63 गुना था। लेकिन आज वो भारत का 4.72 गुना हो चुका है। आखिर हमारे विकास के रास्ते में कहां चूक हो गई? 1980 में चीन की आबादी भारत के कहीं ज्यादा थी। इसकी वजह से भारत की प्रति व्यक्ति आय 582 डॉलर थी, जबकि चीन की प्रति व्यक्ति आय इसकी लगभग आधी 307 डॉलर ही थी। साल 1990 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय घटकर 367 डॉलर हो गई और चीन की प्रति व्यक्ति आय थोड़ी बढ़कर 317 डॉलर तक पहुंची। फिर भी भारत से कम। आज हम आबादी में चीन को मात दे चुके हैं। मगर, चीन की प्रति व्यक्ति आय 13,873 डॉलर है, जबकि भारत की 2698 डॉलर है। चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत से लगभग छह गुनी हो चुकी है। देश में 1991 से ही आर्थिक उदारवाद की हवा चली हुई है। साल 2004 आते-आते मनमोहन सिंह वित्त मंत्री से प्रधानमंत्री बन गए। 2014 तक के उनकी दस साल की सरकार में हमारी प्रति व्यक्ति आय 93% बढ़ी। उसके बाद नरेंद्र मोदी विकास और अच्छे दिन के नारे पर देश के प्रधानमंत्री बन गए। 2024 तक उनके दस साल के राज में हमारी प्रति व्यक्ति आय 95% और बढ़ गई। लेकिन ‘सबका साथ, सबका विकास’ महज नारे से आगे नहीं बढ़ पाया तो क्यों? अब मंगलवार की दृष्टि…
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