हिंदी पृष्ठभूमि से आने, मगर अंग्रेज़ी से कमानेवाले कुछ विद्वान बंधुओं का कहना है कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग व निवेश से कमाने की चाह रखनेवाले लोगों के लिए यह जानना कतई जरूरी नहीं है कि देश व दुनिया की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है? यूरोप व अमेरिका में आर्थिक मंदी के क्या आसार हैं, ब्याज दर बढ़ रही है या घट रही है या देश का डेमोग्रैफिक डिविडेंड क्या है, बेरोज़गारी व शिक्षा की क्या स्थिति है – ऐसे तमाम सवालों का जवाब तलाशना एकदम बकवास और बेकार है। ऐसे बंधुओं का जवाब मैं एक कहानी सुनाकर देना चाहता हूं। उफनती नदी में इस पार से उस पार जा रही बड़ी नांव में करीब सौ लोग सवार थे। इनमें से एक पादरी भी थे। नांव मझधार में थी, तभी उसमें एक तरफ छेद हो गया। लोग चिल्लाने लगे। लेकिन पादरी साहब बड़ी निश्चिंतता से बोले – थैंक गॉड कि नांव में छेद मेरी तरफ नहीं है। अब सोमवार का व्योम…
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