शमाबेन ने लिया यूको का नाम

बाजार के नामी उस्तादों में से शुमार, शंकर शर्मा भी यूको बैंक को खरीदने की सलाह देते सुने गए हैं। वैसे, यूको बैंक (बीएसई कोड – 532505, एनएसई कोड – UCOBANK) में बढ़ने की थोड़ी गुंजाइश भी नजर आ रही है। इस शेयर की बुक वैल्यू 72.65 रुपए है। शुक्रवार को यह 6.79 फीसदी की गिरावट के साथ 131.15 रुपए पर बंद हुआ है। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस 18.29 रुपए है तो पी/ई अनुपात मात्र 7.17 हुआ। हालांकि देना बैंक का पी/ई अनुपात इससे भी कम 6.11 है, जबकि अन्य सरकारी बैंकों में स्टेट बैंक का पी/ई अनुपात 18.60, बैंक ऑफ बड़ौदा का 8.98, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का 7.84 और इलाहाबाद बैंक का पी/ई अनुपात 8.02 चल रहा है। हाउसिंग लोन रिश्वतखोरी की चपेट में आए पंजाब नेशनल बैंक का पी/ई अनुपात 8.46, सेंट्रल बैंक का 6.38 और बैंक ऑफ इंडिया का 10.36 है।

यूको बैंक का शेयर अभी हफ्ते भर पहले 22 नवंबर को 152.35 रुपए पर 52 हफ्ते की ऊंचाई छू रहा था। इस तरह बीते हफ्ते के भूचाल में वह 13.92 फीसदी गिरा है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स में 4.26 फीसदी की ही गिरावट आई है। यूको बैंक ने सितंबर 2010 की तिमाही में 2964.54 करोड़ रुपए की आय पर 119.19 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। सितंबर 2009 की तिमाही की तुलना में उसकी आय बढ़ी है, लेकिन शुद्ध लाभ घटा है। ये नतीजे उसने 29 अक्टूबर को घोषित किए थे। कायदे से इसके बाद उसके शेयर का भाव घटना चाहिए था। लेकिन वह तो 121.50 रुपए से बढ़कर 152.35 की ऊंचाई तक पहुंच गया।

इस दौरान बीएसई के ए ग्रुप और बीएसई-200 सूचकांक में शामिल इस शेयर में वोल्यूम भी अच्छा-खासा होता रहा है। अपेक्षाकृत कमजोर नतीजों के बावजूद शेयर का बढ़ना और वो भी अच्छे-खासे वोल्यूम के साथ, इस बात का इशारा है कि इसमें कुछ खेल चल रहा है। और, शंकर शर्मा द्वारा इसे खरीदने की सिफारिश करना भी यही दिखाता है कि इसमें कुछ बड़े खिलाड़ी सक्रिय हो गए हैं। तो, अपने यहां पुरानी उक्ति है कि, महाजनो येन गतः स पन्था।

यूको बैंक की 549.36 करोड़ रुपए की इक्विटी में भारत सरकार की हिस्सेदारी 63.59 फीसदी है, जबकि एफआईआई के पास इसके 7.82 फीसदी और डीआईआई के पास 10.87 फीसदी शेयर हैं। अगर निष्पक्ष रूप से देखें तो स्टेट बैंक को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंक निवेश बढ़ाने की क्षमता वाले दिख रहे हैं। लेकिन अपने शेयर बाजार में जो दिखता है, वह होता नहीं। इसलिए सबके बीच यूको बैंक को थोड़ी अवधि के लिए परखा जा सकता है। वैसे, ब्रांड छवि और नाम के रूप में यह तमाम सरकारी बैंकों से कमतर ही बैठेगा।

बाकी चर्चा-ए-खास यह है कि अगर आप जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं तो घाटे में चल रही कंपनी अरविंद केमिकल्स (बीएसई कोड – 531881) को आजमा सकते हैं। यह शुक्रवार को 8.02 फीसदी की गिरावट के साथ 8.26 रुपए पर बंद हुआ है, यानी अपने अंकित मूल्य 10 रुपए से भी नीचे। बताते हैं कि यह जल्दी ही 15 रुपए तक जानेवाला है। कुछ अन्य सूचनाएं यह हैं कि फिडेलिटी और टेम्प्लेटन फंड बाजार से व्यापक स्तर पर चुन-चुन स्टॉक खरीदने में लग गए हैं। मिरे एसेट रीयल एस्टेट कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) में खरीद कर रहा है। मॉरगन व यूपीएस की दिलचस्पी बीएचईएल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज ऑटो और आईएफसीआई में है। एनम सिक्यूरिटीज ने बीजीआर एनर्जी, आईएफसीआई, आरआईएल में खरीद की है, जब आरजे ने आईडीबीआई और निफ्टी में हाथ बढ़ाया है और केपी ने निफ्टी और ऑर्किड केमिकल्स में। यह भी चर्चा सुनी है कि पिरामल समूब इंडिया इंफोलाइन के अधिग्रहण की कोशिश में लगा है।

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