क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत के सबसे बड़े बैंक का शुद्ध लाभ मात्र मात्र 20.88 करोड़ रुपए हो सकता है। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ ऐसा ही हुआ है। सोमवार को घोषित नजीतों के अनुसार मार्च 2011 की तिमाही में एसबीआई ने 1922.73 करोड़ रुपए का कर-पूर्व लाभ कमाया है। लेकिन 1901.85 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाने के बाद उसका कर-बाद लाभ 20.88 करोड़ रुपए रहा है, जबकि साल भर पहले इसी अवधि में उसका शुद्ध लाभ 1866.60 करोड़ रुपए था।
एसबीआई के साथ ऐसा अभूतपूर्व ‘हादसा’ इसलिए हुआ है क्योंकि उसे मार्च तिमाही में एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियों) या डूबत ऋणों के लिए 3263.91 करोड़ रुपए का प्रावधान करना पड़ा है। इस तिमाही में बैंक की कुल आय 26,536.84 करोड़ रुपए रही है जो साल भर पहले की समान अवधि की आय 22474.12 करोड़ रुपए से 18.08 फीसदी अधिक है। पूरे वित्त वर्ष 2010-11 की बात करें तो एसबीआई ने 97,218.96 करोड़ रुपए की आय पर 8264.52 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। पिछले वित्त वर्ष में उसकी आय 85,962.07 करोड़ और शुद्ध लाभ 9166.05 करोड़ रुपए था। इस तरह उसकी आय 13.09 फीसदी बढ़ने के बावजूद शुद्ध लाभ 9.84 फीसदी घट गया है।
एसबीआई की तरफ से कहा गया है कि इतना ज्यादा प्रावधान बस एक बार की बात है। आगे सब दुरुस्त हो जाएगा। लेकिन बाजार ने उम्मीद से इतने खराब नतीजों के बाद उसकी एक न सुनी और उसके शेयर को रगड़ डाला। दिन में एक बार तो यह 8.2 फीसदी गिरकर 2401 रुपए तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में 7.7 फीसदी की गिरावट के साथ 2414.70 रुपए पर बंद हुआ। उसकी इस गिरावट को और तूल दे दी, देशी-विदेशी ब्रोकरेज हाउसों ने। सीएलएसए से लेकर आईडीएफसी व इंडिया इनफोलाइन तक ने उसे डाउनग्रेड कर दिया। मॉरगन स्टैनले करीब दस दिन पहले ही एसबीआई से निकलने की सलाह दे चुका है।
वैसे, निवेश के लिहाज से देखें तो इस हफ्ते में इसे गिरते हुए देखते रहना चाहिए और अगले हफ्ते 2200 के आसपास पहुंचने पर इसे खरीद लेना चाहिए। इस बीच एसबीआई के चेयरमैन प्रदीप चौधुरी ने कहा है कि बैंक के 20,000 करोड़ रुपए के राइट्स इश्यू में कोई दिक्कत नहीं है और वह तय योजना के हिसाब से ही आएगा।
एसबीआई के शेयर को लगी चोट का असर बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी पर भी दिखाई दिया जिनमें क्रमशः 1.13 फीसदी और 1.09 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।