रेप्रो इंडिया: गरम नतीजे, ठंडी चोट

रेप्रो इंडिया प्रिंटिंग व पब्लिशिंग के काम में लगी स्मॉल कैप कंपनी है। करीब तीन दशक से धंधे में है। खासतौर पर शिक्षा से संबंधित किताबें छापती है, भौतिक व डिजिटल दोनों स्वरूप में। कामकाज मुंबई से करती है। दो संयंत्र नवी मुंबई और सूरत के सचिन एसईज़ेड में हैं। धंधा देश ही नहीं, विदेश तक फैला है। करीब 60 फीसदी बिक्री विदेश से आती है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गठित निर्यात प्रोत्साहन परिषद कैपेक्सिल की तरफ से उसे पिछले पांच सालों से किताबों के सबसे बड़े निर्यातक का खिताब मिलता रहा है।

कंपनी ने कल, 31 जनवरी को ही दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में उसकी बिक्री 25.08 फीसदी बढ़कर 79.85 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 56.33 फीसदी बढ़कर 8.27 करोड़ रुपए हो गया। चुकता पूंजी के 10.56 करोड़ रुपए से बढ़कर 10.83 करोड़ रुपए हो जाने के बावजूद प्रति शेयर तिमाही मुनाफा (ईपीएस) 60.29 फीसदी बढ़कर 7.71 रुपए हो गया। कंपनी चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले नौ महीनों में ही 26.4 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमा चुकी है, जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में उसका शुद्ध लाभ इससे कम 22.8 करोड़ रुपए था।

लेकिन, जहां आमतौर पर अच्छे नतीजों की घोषणा के बाद शेयरों के भाव बढ़ जाते हैं, वही रेप्रो इंडिया का शेयर शानदार नतीजों के बावजूद करीब आठ फीसदी की भारी गिरावट का शिकार हो गया। कल इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532687) में 8.15 फीसदी गिरकर 192.05 रुपए और एनएसई (कोड – REPRO) में 7.30 फीसदी गिरकर 192.95 रुपए पर बंद हुआ है। आखिर इस कदर गिरने की वजह क्या है? मुझे तो कोई स्पष्ट वजह नहीं दिखाई देती। कंपनी पर कोई बड़ा कर्ज भी नहीं है और न ही प्रवर्तकों ने अपने कोई शेयर गिरवी रखे हैं।

हमने इसी कॉलम में रेप्रो इंडिया के बारे में सबसे पहले 18 जुलाई 2011 को लिखा था। तब इसका शेयर 158 रुपए के आसपास चल रहा था। कल यह गिरकर 192.05 रुपए पर पहुंचा जरूर है। लेकिन 218 रुपए पर 52 हफ्ते का नया शिखर बनाने के बाद। हमारी सलाह पर निवेश करनेवाले यकीनन दुखी नहीं होंगे क्योंकि 192 रुपए का भाव पकड़ने पर भी साढ़े छह महीने में उन्हें 21.5 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है। असल में कल यह शेयर जबरदस्त मुनाफावसूली के लिए उठाकर गिराया गया है। ऊपर में 218 रुपए तो नीचे में 187.80 रुपए। एक दिन में पेंडुलम का 30.2 रुपए झूल जाना बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी को दर्शाता है।

दरअसल, खिलाड़ी लोग पिछले कई दिनों से इस स्टॉक में हाथ डाले हुए थे। 25 जनवरी को इसका भाव 187.30 रुपए पर था। 27 जनवरी को इसे 196.50 और 31 जनवरी को 209.10 रुपए तक पहुंचा दिया। 27 जनवरी से इसमें वोल्यूम बढ़ने लगा। उस दिन बीएसई में ट्रेड हुए इसके 19,944 शेयरों में से 54.33 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। 30 जनवरी को बीएसई में वोल्यूम एकबारगी 93,955 पर पहुंच गया जिसमें से 34 फीसदी शेयर ही डिलीवरी के लिए थे। कल, 31 जनवरी को इसके 1.01 लाख शेयरों में कारोबार हुआ, मगर डिलीवरी का अनुपात घटकर 29.95 फीसदी पर आ गया। इसी दौरान एनएसई में 27 जनवरी को इसके 28,508, 30 जनवरी को 1.37 लाख और 31 जनवरी को 1.22 लाख शेयरों में ट्रेडिंग हुई जिसमें से क्रमशः 45.20 फीसदी, 24.90 फीसदी और 31.60 फीसदी शेयर डिलीवरी के लिए थे।

जाहिर है कि कंपनी के तिमाही नतीजे उस्ताद लोगों को चार दिन पहले 27 जनवरी को ही पता लग गए थे। इस आधार पर वे इसके स्टॉक को फुलाते गए। मकसद यह था कि नतीजों की घोषणा के बाद बेचकर मुनाफा कमा लेंगे। उनकी औसत खरीद 190 रुपए और बिक्री 215 रुपए पर मानें तो चार दिन में 13.15 फीसदी का ठंडा मुनाफा कम नहीं होता। खैर, अपरिपक्व शेयर बाजार में ऐसा चलता रहता है। मगर, जो सब को दिखता है, वह हमारे नियामकों को देर से दिखता है। इनसाइडर ट्रेडिंग का कानून है और सज़ा का प्रावधान भी। क्या किया जाए! कानून तो बहुत सारे हैं। नियामक ही ठंडा है तो डंडा कौन चलाएगा?

अहम सवाल। क्या रेप्रो इंडिया से 21.5 फीसदी का मुनाफा पकड़कर निकल जाना चाहिए? फैसला आपकी अपनी स्थिति पर निर्भर करता है। करीब छह महीने में इतना मुनाफा कम नहीं, बहुत होता है। अपनी बात करूं तो मैं अब भी इसमें बने रहना चाहूंगा। कारण, दिसंबर 2011 की तिमाही को मिलाकर ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का उसका ईपीएस अभी 33.06 रुपए है। इस तरह उसका शेयर 5.8 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी लाभांश भी बराबर देती रही है। बीते साल उसने दस रुपए पर 6 रुपए यानी 60 फीसदी का लाभांश दिया है। उसका लाभांश यील्ड 3.05 फीसदी है। उसके कुल शेयरधारकों की संख्या 7045 है। इसमें से एक नाम टाटा समूह से जुड़े रहे डॉ. जमशेद जे ईरानी का भी है, जिन्होंने करीब दो महीने पहले 21 नवंबर 2011 को इसके 10,000 शेयर खरीदे हैं। मेरा सुझाव है कि इसमें कम से कम आठ साल और, साल 2020 तक बने रहना चाहिए। तब तक यह स्टॉक आपके निवेश को पांच गुना कर सकता है।

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