रिजर्व बैंक ने बढ़ाई ब्याज दर, चिंता मुद्रास्फीति की

रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव का मानना है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाना न केवल निकट भविष्य में, बल्कि लंबे समय में भी आर्थिक विकास की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। इसी सोच के तहत उन्होंने मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में पंचों की राय के मुताबिक ब्याज दरों को 0.25 फीसदी बढ़ा दिया।

अब तत्काल प्रभाव से रेपो दर बढ़कर 8.50 फीसदी हो गई है। इसके अनुरूप रिवर्स रेपो दर 7.50 फीसदी और एमएसएफ सुविधा में बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक से अतिरिक्त धन लेने पर ब्याज की दर 9.5 फीसदी हो गई है। रिजर्व बैंक से बैंक रेपो दर पर अल्पकालिक उधार लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो पर उनके द्वारा रखे गए धन पर रिजर्व बैंक ब्या देता है। रिजर्व बैंक का मानना है कि मुद्रास्फीति की दर दिसंबर से नीचे आना शुरू हो जाएगी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक बीते सितंबर महीने में सकल मुद्रास्फीति की दर 9.72 फीसदी रही है।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आर्थिक विकास दर का अनुमान 8 फीसदी से घटाकर 7.6 फीसदी कर दिया है। मार्च 2012 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान उसने 7 फीसदी पर यथावत रखा है। हमने कल ही बता दिया था कि मुद्रास्फीति का अनुमान यथावत रखा जाएगा, जबकि आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 7.7 फीसदी किया जा सकता है।

ग्रामीण व अर्ध-शहरी इलाकों में बैंकों की पहुंच बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने 49,999 आबादी वाले टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में बैंकों को पूर्व-मंजूरी की शर्त से मुक्त कर रखा है। अब 50,000 से 99,999 आबादी तक के टियर-2 शहरों में शाखाएं खोलने के लिए बैंकों की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। बस उन्हें इसकी बराबर रिपोर्टिंग करनी होगी। इन अनुमति से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक बाहर हैं।

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