पिछले आठ सालों से भारतीय रेल ने यात्री किराया नहीं बढ़ाया है, जबकि यात्री ट्रेनें चलाने का खर्चा तकरीबन सौ फीसदी बढ़ चुका है। इस लिहाज से अब किराया दोगुना होना चाहिए, लेकिन हम इतनी बढ़ोतरी नहीं कर सकते। इस मामले में हमें चतुराई से काम करना होगा। किराया इस तरह बढ़ाया जाना चाहिए ताकि वह वाजिब व तर्कसंगत लगे ताकि बाद में उनसे जुड़े सवालों का जवाब दिया जा सके। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बुधवार को आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में यह बात कही। दिनेश त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं और ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी जगह आए हैं।
उन्होंने कहा कि किराया बढ़ाने से रेलवे के राजस्व को बहुत ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है क्योंकि सिर्फ 26 फीसदी आमदनी यात्री सेवाओं से होती है। इसमें भी आधा राजस्व उपनगरीय ट्रेन संचालन से आता है। लंबी दूरी की ट्रेनों से केवल सात फीसदी राजस्व आता है। लिहाजा हमें किराया बढ़ाने से ज्यादा जोर कमाई के दूसरे तरीकों पर देना होगा। मसलन हम स्टेशनों को कमाई का स्रोत बना सकते हैं। हवाईअड्डों की तरह। विदेश में ऐसा पहले से हो रहा है। इसीलिए स्टेशन अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव है। आखिर क्यों नहीं हम रेलवे स्टेशन पर किताब खरीदने जा सकते? यदि स्टेशनों को ढंग से विकसित कर दिया जाए तो कमाई बढ़ने के अलावा बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिल सकता है। अकेले एक बड़े स्टेशन पर 50 हजार लोगों को नौकरी मिल सकती है।
रेल मंत्री ने कहा, “हम जानते हैं कि रेलवे की ज्यादातर परियोजनाएं घाटे में हैं। सिर्फ 14 परियोजनाएं फायदे में हैं। इसके बावजूद सामाजिक व रणनीतिक वजहों से रेल परियोजनाओं की जरूरत है। चालू वर्ष में हमें 57,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश विभिन्न परियोजनाओं में करना है। 12वीं योजना में सवा सात लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।”
उन्होंने कहा कि दुनिया भारतीय रेल की ओर देख रही है। लिहाजा यह भविष्य में विकास का इंजन है। इसीलिए हम फ्रेट कॉरिडोर को तेजी से पूरा करना चाहते हैं। नए यात्री कॉरिडोर बनाने का विचार भी हमारे दिमाग में है। इसके अलावा तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए हाई स्पीड कॉरिडोर पर हमारी नजर है। इसके लिए हम हाईस्पीड कॉरिडोर अथॉरिटी बना रहे हैं।