चीन ने राष्ट्रवाद का दम दिखा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के आयात पर पहले के 20% के ऊपर 34% टैरिफ (कुल 54%) लगाया तो उसने भी अपने यहां सारे अमेरिकी माल के आयात पर 34% शुल्क लगा दिया। ट्रम्प ने जवाब में 104% टैरिफ लगा दिया तो चीन ने भी टैरिफ बढ़ाकर 84% कर दिया। ट्रम्प ने झल्लाकर चीनी माल पर आयात शुल्क 145% कर दिया तो चीन ने उसका जवाब 125% शुल्क से दिया। चीन अमेरिकी दबाव के आगे झुका नहीं। अंततः ट्रम्प को अपनी सनक छोड़कर चीन से आयात होनेवाले स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, फ्लैट पैनल मॉनिटर, चिप बनाने के उपकरणों और मेमोरी चिप जैसी सेमीकंडक्टर डिवाइसों समेत 20 उत्पादों को जवाबी टैरिफ से मुक्त करना पड़ा। यह होता है राष्ट्रहित को सर्वोपरि रख अपनी ताकत के दम पर हमलावर को पीछे ढकेल देना। दूसरी तरफ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विशाल बाजार के स्वामी भारत की मोदी सरकार अब भी ट्रम्प की दोस्ती, लल्लोचप्पो और मौकापरस्ती में जुटी है। उसकी तरफ से बघारा जा रहा है कि मई तक भारत अमेरिका के साथ ऐसी डील कर लेगा कि चीन से लेकर वियतनाम तक सब पीछे छूट जाएंगे। आखिर मोदी सरकार दुम दबाकर भागने में क्यों लगी है? अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...