एक हाथ से पूस-पूस, दूसरे से दुत्कार

सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का अंदाज़ निराला है। एक तरफ उन्होंने इस बार बजट में एफपीआई को खुश करने की भरपूर कोशिश की। उनसे जुड़े केवाईसी मानक ढीले कर दिए ताकि उन्हें निवेश बढ़ाने में कोई दिक्कत न आए। दूसरी तरफ, जब वे ‘सुपर-रिच’ टैक्स पर एतराज जता रहे हैं तो वित्त मंत्री ने सुनने से ही इनकार कर दिया। आखिर जो टैक्स महज दिखावा है, उस पर इतनी हेकड़ी क्यों! अब मंगलवार की दृष्टि…

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