भारी है ओएमडीसी का एक शेयर भी

उड़ीसा मिनरल्स डेवलपमेंट कंपनी (ओएमडीसी) सार्वजिनक क्षेत्र की कंपनी है। देश भर में इसकी छह खदानें हैं जिनमें 20.6 करोड़ टन लौह अयस्क और 4.4 करोड़ टन मैंगनीज अयस्क का भंडार है। माना जाता है कि इन खदानों का फिर से आकलन किया जाए तो भंडारों की मात्रा दोगुनी हो सकती है। फिलहाल कंपनी पिछले तीन-चार साल से ठंडी पड़ी थी। लेकिन उड़ीसा के क्योंझर जिले में बरबिल के आसपास स्थित उसकी दो खदानों – कोल्हा रोएडा (लौह अयस्क) और डल्की (मैंगनीज अयस्क) में ठीक हफ्ते भर पहले 29 दिसंबर से फिर से खनन शुरू हुआ है। उसकी बाकी सभी चार खदानों को चार महीने के भीतर अप्रैल 2012 तक खनन का पट्टा मिल जाने की उम्मीद है।

ओएमडीसी का गठन 1918 में हुआ था। यह देश की सबसे पुरानी लौह अयस्क खनन कंपनियों में शुमार है। फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र में सेल के बाद दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल) की परोक्ष सब्सिडियरी है। परोक्ष इसलिए क्योंकि राष्ट्रीय इस्पात की सब्सिडियरी ईस्टर्न इनवेस्टमेंट ने ओएमडीसी की 50.01 फीसदी इक्विटी ले रखी है। राष्ट्रीय इस्पात के पास कच्चे माल के अपने स्रोत नहीं है तो ओएमडीसी के साथ उसकी जोड़ी जबरदस्त बनती है।

हमारे लिए खास नोट करने की बात यह है कि बिना किसी धंधे और ठोस कमाई के यह सबसे ज्यादा दाम वाला स्टॉक बना हुआ है। आपको शायद होगा कि करीब डेढ़ साल पहले 4 अगस्त 2010 को इसकी नए सिरे से लिस्टिंग हुई थी। उस महीने इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 44,694 रुपए और 20,475 रुपए के दायरे में डोलता रहा। नवंबर आते-आते यह ऊपर में 92,200 रुपए तक पहुंच गया। इसमें मार्केट लॉट एक शेयर का है क्योंकि इससे छोटा लॉट तो हो ही नहीं सकता। ऐसे में हमारे-आप जैसे लोगों के लिए इसका एक शेयर लेना भी भारी पड़ेगा।

खैर, बिना किसी धंधे के शेयर फूलता-पिचकता रहा। अभी पिछले महीने 19 दिसंबर 2011 को इसने 26,710 रुपए पर 52 हफ्ते की तलहटी पकड़ी है। इस बीच इसके शेयरों को दस रुपए से एक रुपए में बांटने और बोनस शेयर जारी करने की चर्चा बार-बार होती रही है। जब भी ऐसा होता है, इसके शेयर चढ़ जाते हैं। 9 नवंबर 2011 को कंपनी के निदेशक बोर्ड की मीटिंग में शेयरों के विभाजन पर विचार होना था तो उस दिन शेयर 50,221 रुपए तक चला गया। लेकिन मसला 18 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। उस दिन भी कोई विचार नहीं हो सका। उम्मीद के न पूरा होने से उसका शेयर गिरता ही चला गया। अभी नए साल में 3 जनवरी को दो खदानों में उत्पादन शुरू होने की खबर के बाद फिर उसमें चाल आ गई।

कंपनी में बोनस शेयरों का दिया जाना भी अवश्यसंभावी है क्योंकि उसकी इक्विटी या चुकता पूंजी मात्र 60 लाख रुपए है, जबकि उसके पास 801.96 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। असल में इन सारे पहलुओं को समाहित करने के बाद ही कंपनी का शेयर इतना फूला हुआ है। नहीं तो जिस कंपनी की आय सितंबर 2011 की तिमाही में 41 फीसदी घटकर 14.91 करोड़ रुपए पर आ गई हो, जिसमें से 13.19 करोड़ रुपए अन्य आय के हों और जिसे शुद्ध लाभ के बजाय 23 लाख का घाटा हुआ हो, उसको इतना भाव मिलने का कोई तुक ही नहीं है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने महज 49.77 करोड़ रुपए की बिक्री पर 7.72 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था।

असल में ओएमडीसी इस बात का आदर्श उदाहरण है कि शेयर बाजार कैसे वर्तमान पर नहीं, भविष्य की संभावनाओं का हिसाब लगाकर चलता है। कल इसका शेयर बीएसई (कोड – 590086) में 4.76 फीसदी गिरकर 33,905.20 रुपए और एनएसई (कोड – ORISSAMINE) में 4.86 फीसदी गिरकर 33,924.75 रुपए पर बंद हुआ है। जानकारों का मानना है कि कंपनी की दो खदानों में काम शुरू हो चुका है और बाकी चार खदानें भी नए वित्त वर्ष 2012-13 में चालू हो जाएंगी तो इस शेयर का चमकना लाजिमी है।

अभी देश में लौह अयस्क की कमी के चलते स्टील उत्पादन दबाव में है। इसलिए ओएमडीसी की खदानों से निकले लौह अयस्क को हाथों-हाथ उठा लिया जाएगा। मैंगनीज अयस्क की तो वैसे ही शाश्वत कमी बनी रहती है। सब्सिडियरी होने के नाते कंपनी पर सरकारी नवरत्न, राष्ट्रीय इस्पात निगम का वरदहस्त पहले से ही है। उद्योग के जानकार बताते हैं कि नए वित्त वर्ष 2013-14 में कंपनी की बिक्री कम से कम 300 करोड़ और सकल लाभ 225 करोड़ रुपए हो सकता है।

उम्मीद है कि विश्लेषकों की यह उम्मीद पूरी हो जाएगी। न भी हो तो हमारा सुझाव है कि प्रयोग के बतौर इसका एक शेयर लेने में अभी कोई हर्ज नहीं है। जल्दी ही इसके दस शेयर हो जाएंगे। जिस अनुपात में बोनस मिलेगा, उस अनुपात में शेयरों की संख्या और बढ़ जाएगी। ऐसा भी नहीं है कि कंपनी में लिक्विडिटी की कोई दिक्कत है। कुल फ्लोटिंग स्टॉक महज तीन लाख शेयरों का होने के बावजूद हर दिन उसमें काम भर की ट्रेडिंग हो जाती है। जैसे, कल जैसे ठंडे दिन में भी बीएसई में उसके 1946 शेयरों में सौदे हुए जिसमें से 365 शेयर डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 2514 शेयरों में से 638 डिलीवरी के लिए थे।

फिलहाल कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 9905 है, जिसमें एक लाख रुपए से कम निवेश वाले छोटे निवेशकों की संख्या 8936 (90.21 फीसदी) है। कंपनी के 1.30 फीसदी शेयर एफआईआई और 15.76 फीसदी शेयर डीआईआई ने ले रखे हैं। इसमें से सबसे ज्यादा 15.42 फीसदी शेयर तो अकेले एलआईसी के पास हैं। इसके अलावा कंपनी के चार अन्य बड़े शेयरधारकों में ऑलबैंक फाइनेंस (1.10 फीसदी), 3ए कैपिटल सर्विसेज (1.21 फीसदी), अस्पी एस तांग्री (1.26 फीसदी) और महेंद्र गिरधारीलाल (1.52 फीसदी) शामिल हैं।

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