सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ते रुपए को देखते हुए पेट्रोल के दाम में 1.82 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की तैयारी में हैं। करीब ढाई महीने पहले ही 16 सितंबर को तेल कंपनियों – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 3,14 रुपए बढ़ाए हैं। नोट करने की बात यह है कि जून 2010 से ही पेट्रोल के मूल्य से सरकारी नियंत्रण हटा लिया गया है और इन्हें तय करने का जिम्मा पूरी तरह तेल कंपनियों पर छोड़ दिया गया है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) के निदेशक-वित्त बी मुखर्जी ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं को बताया, “आज से हमें पेट्रोल पर कुछ नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए हमें कीमत बढ़ानी पड़ सकती है।” उनका कहना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 108 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहे हैं। दूसरी तरफ डॉलर तीन महीने में 46.50 रुपए से बढ़कर 49 रुपए के भाव पर पहुंच गया है। इससे तेल आयात की लागत और बढ़ गई है।
मुखर्जी ने कहा कि पेट्रोल पर कंपनियों को इस समय 1.50 रुपए प्रतिलीटर का नुकसान हो रहा है और स्थानीय शुल्क आदि लगाकर यह नुकसान 1.82 रुपए प्रति लीटर हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हम अन्य तेल कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
उधर पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से दी गई अद्यतन जानकारी के अनुसार तेल कंपनियों को आज की तारीख में डीजल, केरोसिन तेल व एलपीजी को सरकार निर्धारित कीमत पर बेचने से हर दिन 319 करोड़ रुपए की अंडर-रिकवरी हो रही है। यह अंडर रिकवरी डीजल पर 8.58 रुपए प्रति लीटर, केरोसिन पर 25.66 रुपए प्रति लीटर और एलपीजी पर 260.50 रुपए प्रति सिलेंडर है। इसके ऊपर से सरकार केरोसिन पर 82 पैसे प्रति लीटर और एलपीजी पर 22.58 रुपए प्रति लीटर की सब्सिडी अलग से देती है।