डॉ. मनमोहन सिंह की दस साल की सरकार की बात अब पुरानी हो चुकी है। उन्होंने विकास का वैसा नारा भी नहीं दिया था, जैसा पिछले 11 साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं। मेक-इन इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया जैसे नारों की कोई कमी नहीं। ऊपर से हमारे 60 करोड़ देशवासियों की उम्र 25 साल से कम है। इसका बखान खुद हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीन हफ्ते ही पहले अमेरिका में कर चुकी हैं। लेकिन कोई यह तो बताए कि देश में युवा आबादी और इंजीनियरों की भारी तादाद व प्रतिभा के बावजूद आज तक हम माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एनवीडिया या एप्पल जैसी एक भी कंपनी क्यों नहीं बना पाए? इस बीच चीन तो छोड़िए, ताइवान जैसे छोटे देश तक ने टीएसएमसी (ताइवान सेमिकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड) जैसी शानदार कंपनी विकसित कर ली है। इतने हो-हल्ले और राष्ट्रवाद के उन्माद के बावजूद भारत आज दुनिया में यूक्रेन के बाद सबसे ज्यादा हथियारों का आयात करता है। 2020-24 के दौरान दुनिया में हथियारों के आयात में 8.3% हिस्से के साथ भारत 155 देशों में दूसरे नंबर पर है, जबकि इसी दौरान चीन हथियार आयात 64% घटाकर शीर्ष 10 आयातकों की सूची से बाहर निकलकर निर्यातक बन गया। अब बुधवार की बुद्धि…
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