सिर पर चोट लगी हो तो आप घुटनों पर पट्टी नहीं बांधते। लेकिन अपने यहां भारतीय रिजर्व बैंक ऐसा ही कर रहा है। मुद्रास्फीति रोकने के लिए ब्याज दर बढ़ा देना अमेरिका जैसे विकसित देशों का सर्वमान्य तरीका है क्योंकि वहां धन सस्ता होने से लोग उधार पर लेकर जमकर खर्च करते हैं जिससे माल व सेवाओं की मांग बढ़ जाती है और सप्लाई सीमित होने के कारण मुद्रास्फीति या महंगाई बढ़ जाती है। इसलिए धन को महंगा करते जाने से मुद्रास्फीति काबू में आने लगती है। लेकिन अपने यहां नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद ही करोड़ों लोगों का रोज़ी-रोज़गार चला गया। आम लोगों की आमदनी घटती गई तो हर माल व सेवा की मांग घट गई। यह भी ध्यान रखने की बात है कि हमारी मुद्रास्फीति में 45.86% योगदान खाने-पीने की चीजों का है। अब बुधवार की बुद्धि…
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