विश्व अर्थव्यवस्था ठहरी पड़ी है तो निर्यात की मांग नहीं निकल रही। देश के भीतर निजी खपत ठीक से नहीं बढ़ रही। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर 2023 की तिमाही में यह 1.8% बढ़ी है, जबकि अप्रैल से दिसंबर 2023 तक के नौ महीनों में 3.5% बढ़ी है। ऐसे में दिसंबर तिमाही में जीडीपी की 8.4% बढ़त को लेकर कोई चाटेगा क्या? निजी क्षेत्र इसलिए भी नया निवेश नहीं कर रहा क्योंकि उसके पास मांग से कहीं ज्यादा अतिरिक्त उत्पादन क्षमता है और निकट भविष्य में उसे मांग बढ़ती भी नहीं दिख रही। साथ ही उसे कतई विश्वास नहीं है कि अपनी अर्थव्यवस्था ठीक से चलाई जा रही है। कॉरपोरेट अर्थशास्त्रियों के साथ ही बाहर के स्वतंत्र अर्थशास्त्री व बिजनेस में लगे लोग भी यही राय रखते हैं। यहां तक कि विदेशी निवेशकों को भी भारतीय अर्थव्यवस्था के सरकारी प्रबंधन का ‘ऑप्टिक्स’ समझ में आ गया है। शायद यही वजह है कि देश में आया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अप्रैल-दिसंबर 2023 के बीच साल भर पहले की समान अवधि के 36.74 अरब डॉलर से 13% घटकर 32.03 अरब डॉलर रह गया। इसमें भी अगर अप्रैल-सितंबर 2023 तक के छह महीनों की बात करें तो एफडीआई 24% घट गया था। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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