टाटा समूह बराबर खुद के पाकसाफ होने का दावा करता रहता है। खासकर, उसके मौजूदा चेयरमैन रतन टाटा रिश्वत के नाम से ही बिदकने का अंदाज दिखाते रहे हैं। लेकिन इसी साल दिसंबर से उनकी जगह समूह की बागडोर संभालने वाले सायरस मिस्त्री की मूल कंपनी शापूरजी पल्लोनजी ने महाराष्ट्र हाउसिंग बोर्ड, म्हाडा के एक अधिकारी को करोड़ों की रिश्वत दी थी।
यह खुलासा खुद महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर आर पाटिल ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में किया। उन्होंने बताया कि म्हाडा के डिप्टी कलेक्टर निलेश ठाकुर को रीयल एस्टेट फर्म शापूरजी पल्लोनजी ने भारी रकम दी थी। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि यह रकम किस काम के लिए दी गई थी। मालूम हो कि निलेश ठाकुर को इसी साल मार्च में राज्य के एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया है और उसे नौकरी से बरखास्त किया जा चुका है।
गृह मंत्री पाटिल ने यह भी बताया कि शापूरजी पल्लोनजी के अलावा दुबई के एक शेख ने भी ठाकुर को 16 करोड़ रुपए थे। जाहिर है कि शापूरजी पल्लोनजी की तरफ से दी गई रिश्वत इससे ज्यादा ही रही होगी। वैसे, आयकर विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक शापूरजी पल्लोनजी ने निलेश ठाकुर के भाई को 75 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी। एसीबी का तो दावा है कि शापूरजी पल्लोनजी और उसकी सहयोगी कंपनी एसडीसीएल ने ठाकुर को कुल 258 करोड़ रुपए खिलाए हैं। हालांकि पाटिल ने अपने बयान में रकम का खुलासा नहीं किया है।
जब यह रिश्वत दी गई थी, उस समय सायरस मिस्त्री ही शापूरजी पल्लोनजी के प्रबंध निदेशक हुआ करते थे। सायरस ने यह पद टाटा समूह में रतन टाटा का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद नवंबर 2011 में ही छोड़ा है। इस समय भी सायरस के पिता शापूरजी पल्लोनजी मिस्त्री अपने समूह के चेयरमैन हैं और टाटा संस के सबसे बड़े शेयरधारक हैं। उनके पास टाटा संस के 18 फीसदी शेयर हैं। सायरस मिस्त्री फिलहाल टाटा समूह के उप-चेयरमैन हैं और उन्हें इसी महीने 1 अप्रैल से टाटा संस का प्रबंध निदेशक बना दिया गया है। रतन टाटा के रिटायर होने के बाद 1 दिसंबर 2012 से वे टाटा समूह के चेयरमैन बना दिए जाएंगे।