डाला एफ एंड ओ में सनम तेरे लिए

बाजार सुधर कर वापस 5500 के ऊपर के प्रतिरोध स्तर पर आ चुका है। निफ्टी 1.07 फीसदी की बढ़त के साथ 5585.45 पर बंद हुआ है। दरअसल मुद्दा टेक्निकल रैली का नहीं, बल्कि यह तथ्य है कि 22 जून 2011 के बाद कल पहली बार एफआईआई का निवेश ऋणात्मक रहा। उन्होंने कल 969.44 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की है। लेकिन ऐसा इनफोसिस के अपेक्षा से कमतर नतीजों, आईआईपी के कमजोर आंकड़ों व यूरोप में छाई कमजोरी के साथ-साथ इसलिए भी हुआ क्योंकि तमाम फंडों के लिए 5550 पर स्टॉप लॉस ट्रिगर हो गया।

फिर भी सकारात्मक पहलू यह है कि मानसून एकदम चंगा है, सरकार सीमित विकल्पों के बीच रिश्वत व भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से पेश आ रही है और मंत्रालयों में फेरबदल के बाद अब सामान्य कामकाज शुरू हो गया है। बाजार अब दूसरी तिमाही में प्रवेश कर रहा है, एक निश्चित ध्येय के साथ कि निफ्टी को 7000 के ऊपर पहुंचाना है। इसलिए बहुत से एफआईआई ब्रोकिंग हाउसों ने सेंसेक्स में 22,000 को लक्ष्य बनाने की राय देनी शुरू कर दी है। हालांकि कुछ ने कहा है कि ऐसा इसी साल दिसंबर तक हो जाएगा। कुछ ने इसके लिए मार्च 2011 की तिथि मुकर्रर की है और कुछ पूरे एक साल का समय ले रहे हैं। लेकिन सबके बीच सेंसेक्स के 22,000 तक पहुंचने पर आम सहमति है।

इसलिए अगर गिरावट आई भी और बाजार को कहीं तक भी गिराकर ले गई तो यह उठने के पहले की आखिरी गिरावट होगी। इस बीच निवेशक पूंजी बाजार में भरोसा खो चुके हैं। स्टॉक एक्सचेंज एकदम ठंडी नीति पर चल रहे हैं और नियामक संस्था आगे बढ़कर जरूरी सुधारों को अपना नहीं रही। इससे निवेशक और ज्यादा हैरान-परेशान हो गए हैं।

मैं मीडिया में छपी इस खबर से सहमत हूं कि एफ एंड ओ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) की सूची में शामिल किए गए आठ स्टॉक्स वाकई इसके काबिल नहीं है। ये स्टॉक्स हैं – बीएफ यूटिलिटीज, अरविंद लिमिटेड, गीतांजलि जेम्स, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, जुबुलेंट फूडवर्क्स, साउथ इंडियन बैंक, टीटीके प्रेस्टिज, और वीआईपी इंडस्ट्रीज। इनसे बेहतर कंपनियां हैं जिन्हें एफ एंड ओ सेगमेंट में शामिल किया जा सकता था। मुझे लगता है कि ऐसा बड़े ऑपरेटरों को बाहर निकलने का मौका देने के लिए किया गया है। उन्होंने इन स्टॉक्स में थोड़े-बहुत नोट लगाकर इनका मूल्यांकन चढ़ा दिया है।

अब वे एफ एंड ओ में इनके आ जाने के बाद इनसे आसानी से निकल जाएंगे, नहीं तो इनमें फंसे ही रह जाते। तीन साल पहले बाटा और रेमंड्स कैश सेगमेंट में थे। इनको एफ एंड ओ में लाया गया तो ऑपरेटर अपनी रोटी सेंककर मजे से निकल गए। लेकिन यह भी सच है कि एक्सचेंजों की इस कृत्य की तर्कसंगतता पर कोई टिप्पणी करना बहुत कठिन है क्योंकि इसके पीछे क्या नियम हैं, कौन-से दिशानिर्देशों के तहत ऐसा किया जाता है, इसका खुलासा सार्वजनिक तौर पर नहीं किया गया है।

खैर, मेरी बहुत पक्की मान्यता है कि अगर आप इस समय स्तरीय व मूल्यवान स्टॉक्स खरीदते हैं और अगले दो साल तक उन पर कुंडली मारकर बैठे रहते हैं तो ऐसे कई स्टॉक्स हैं जो आपको 500 फीसदी का रिटर्न दे सकते हैं। जो लोग हर बढ़त पर बेच रहे हैं उन्हें लहरों पर तात्कालिक सवारी का आनंद तो जरूर मिल रहा होगा। लेकिन आगे किसी दिन उनको रोना पड़ेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।

जिंदा वही है जो हर पल अपने को नया व अद्यतन करता रहता है। बाकी तो जिंदा लाश हैं जो शरीर को ढोए चले जा रहे हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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