राजीव गांधी के नाम पर सीधे शेयरों में 50,000 रुपए लगाओ। तीन साल तक उसे हाथ न लगाओ और इस निवेश का 50 फीसदी हिस्सा आयकर में रियायत पाओ। जी हां, वित्त मंत्री ने नए साल के बजट में रिटेल निवेशकों को शेयर बाजार में खींचने के लिए पहली बार राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम शुरू की है।
इसका पूरा ब्योरा तो बाद में अलग से जारी किया जाएगा। लेकिन वित्त मंत्री के प्रस्ताव के मुताबिक, जिन लोगों की सालाना आय 10 लाख रुपए से कम है, वे अगर 50,000 रुपए सीधे इक्विटी में लगाते हैं तो उन्हें इस स्कीम के तहत आयकर में 50 फीसदी की छूट दी जाएगी। लेकिन इस स्कीम का फायदा नए रिटेल निवेशक ही उठा सकते हैं और स्कीम में तीन साल की लॉक-इन अवधि होगी। इसका स्वरूप कुछ इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) जैसा नजर आता है। अगर आपको साल में 25,000 रुपए का टैक्स बचाना है तो इसके लिए हर साल 50,000 रुपए सीधे शेयरों में लगाने होंगे। कर रियायत का लाभ लेना है तो किसी भी साल के निवेश को आप तीन साल बाद ही बेच पाएंगे।
निश्चित रूप से इसका मकसद शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाना है जिनकी संख्या पिछले बीस सालों में दो करोड़ से घटते-घटते 25-30 लाख तक सिमट गई है। लेकिन जब तक स्कीम को पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया जाता, तब तक इसका कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। यह अभी तक साफ नहीं है कि क्या यह 80सी के तहत मिलनेवाली कुल एक लाख रुपए की करयोग्य आय की छूट सीमा में शामिल है या उससे बाहर।
वित्त मंत्री ने शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए एक और काम किया है। वह यह कि कैश सेगमेंट के डिलीवरी वाले सौदों पर सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) 20 फीसदी घटा दिया है। अभी तक जहां एसटीटी की दर 0.125 फीसदी थी, वहीं अब 0.1 फीसदी हो जाएगी। इस पर बंगाल के एक टाइगर की प्रतिक्रिया ही काफी है, “भिखारी समझा है क्या वित्त मंत्री ने हम सबको! जैसे, कटोरा लेकर बैठे थे और चिल्लर डाल दिया। इससे अच्छा था कि एसटीटी 20 फीसदी कम करने के बजाय बढ़ा देते। एक लाख रुपए के शेयरों पर 100 रुपए एसटीटी। उसके बाद प्रॉफिट करो तो उसमें 10 फीसदी कैपिटल गेन्स टैक्स दो। ऊपर से ब्रोकरेज और सर्विस चार्ज।”