एनसीएल इंडस्ट्रीज का नाम पहले नागार्जुन सीमेंट लिमिटेड हुआ करता था। पिछले 25 सालों से आंध्र प्रदेश में नागार्जुन ब्रांड का सीमेंट बेचती है। पिछले साल की जून तिमाही में 2.57 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था। लेकिन इस साल की जून तिमाही में 16.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस बार उसकी बिक्री भी पूरे 84.08 फीसदी बढ़कर 122.14 करोड़ रुपए हो गई है। लेकिन इन नतीजों का खास असर अभी तक उसके शेयरों पर नहीं नजर आया है।
कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही के नतीजे 12 अगस्त को घोषित किए। उस दिन इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 35.10 रुपए पर था। इससे महीने भर पहले 12 जुलाई को 35.20 रुपए पर था। महीने भर बाद 12 सितंबर को 35.35 रुपए पर बंद हुआ। अभी बीते शुक्रवार, 30 सितंबर को बीएसई (कोड – 502168) में 37 रुपए और एनएसई (कोड – NCLIND) में 36.90 रुपए पर बंद हुआ है।
जून तिमाही के नतीजों के बाद उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 12.18 रुपए है। इस तरह 37 रुपए के मौजूदा भाव पर उसका शेयर मात्र 3.04 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू ही इससे ज्यादा 44.44 रुपए है। स्मॉल कैप कंपनी है। इसलिए 19.76 के पी/ई पर ट्रेड हो रहे एसीसी, 19.55 के पी/ई पर ट्रेड हो रहे अंबुजा सीमेंट्स, 9.44 के पी/ई पर ट्रेड हो रहे जेके सीमेंट या 19.89 के पी/ई पर ट्रेड हो रहे बिनानी से तुलना मुनासिब नहीं होगी। लेकिन इसकी समकक्ष कंपनियों में से सागर सीमेंट्स का शेयर 6.42 और डेक्कन सीमेंट्स का शेयर 5.13 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। खुद यह शेयर इसी अगस्त महीने में 13.41 के पी/ई तक ट्रेड हुआ था। हालांकि तब उसका भाव 39.50 रुपए ही था।
जाहिरा तौर पर अगर बाजार देर-सबेर इसे औसतन 10 का भी पी/ई अनुपात देता है, जैसा पिछले करीब डेढ़ साल से होता आया है, तो इस शेयर को करीब तीन गुना बढ़ जाना चाहिए। हालांकि आप जानते ही हैं कि क्या होना चाहिए और असल क्या होता है, उसके काफी अंतर होता है। बहुत सारे कारक इसे तय करते हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि निवेशकों की धारणा किसी कंपनी के प्रति क्या बनती है।
एनसीएल इंडस्ट्रीज की बिक्री का तीन चौथाई से ज्यादा हिस्सा सीमेंट से आता है। लेकिन वह सीमेंट-बांडेड पार्टिकल बोर्ड, प्री-फैब्रिकेटेड उत्पाद और बिजली भी बनाती है। वह दो छोटे पनबिजली संयंत्रों से फिलहाल 15.75 मेगावॉट बिजली बना रही है। यह मूलतः उसकी अपनी खपत के लिए है। लेकिन आगे उसकी योजना ताप बिजली संयंत्र लगाने की है जिसकी अतिरिक्त बिजली वह दूसरों को बेचेगी। कंपनी ने आंध्र प्रदेश में रेडी-मिक्स कांक्रीट इकाइयां लगाने का फैसला भी कर लिया है।
ग्लोबल होते इस जमाने में कंपनी भी वैश्विक हो रही है। उसने पिछले साल ऑस्ट्रिया की कंपनी वीएसटी फेरबुंड शालुंग्स टेक्निक के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया है जो अत्याधुनिक तकनीक से गगनचुंबी इमारते बनाएगा। इस संयुक्त उद्यम कंपनी का नाम एनसीएल-वीएसटी इंफ्रा रखा गया है। इस तकनीक से कंस्ट्क्शन से लेकर मजदूरी तक की लागत काफी कम हो जाती है। इसमें पूरे ब्लॉक के ब्लॉक पहले से बनाकर रखते जाते हैं और बहुत ही कम समय में मजबूत बिल्डिंग बन जाती है। यूरोपीय देशों में यह तकनीक ही चलती है।
बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में एनसीएल इंडस्ट्रीज ने 361.96 करोड़ रुपए की बिक्री पर 23.41 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। साल भर पहले की तुलना में उसकी बिक्री 55.53 फीसदी और शुद्ध लाभ 99.91 फीसदी ज्यादा था। मार्च 2011 तिमाही की बात करें तो उसकी बिक्री 121.27 फीसदी बढ़कर 134.80 करोड़ और शुद्ध लाभ 1835.19 फीसदी यानी 18.35 गुना बढ़कर 20.90 करोड़ रुपए हो गया था। कंपनी ने 2010-11 के लिए दस रुपए के शेयर पर 1.50 रुपए (15 फीसदी) का लाभांश भी दिया है। वह लगातार पिछले पांच सालों से लाभांश देती रही है।
कंपनी के साथ खटकनेवाला एक ही पहलू नजर आता है कि उसके ऊपर 342.98 करोड़ रुपए का उधार है। इसके चलते इसका ऋण-इक्विटी अनुपात 2.56 का है जिसे अच्छा नहीं माना जा सकता है। ऋण के बोझ के कारण कंपनी को बीते साल 40.55 करोड़ रुपए का ब्याज (शुद्ध लाभ 23.41 करोड़) चुकाना पड़ा तो इस साल की पहली तिमाही में भी ब्याज अदायगी 10.24 करोड़ रुपए (शुद्ध लाभ 16.95 करोड़) रही है। कंपनी की कुल 34.94 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 46.15 फीसदी है जिसका 68.36 फीसदी भाग (कंपनी की कुल इक्विटी का 31.55 फीसदी) उन्होंने गिरवी रखा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि 27 फीसदी के औसत परिचालन लाभ मार्जिन और नेटवर्थ पर 25 फीसदी के रिटर्न को देखते हुए एनसीएल इंडस्ट्रीज लंबे समय के लिए लाभप्रद व सुरक्षित निवेश है।