प्रकृति और समाज

प्रकृति और हमारे बीच मां-बच्चे का रिश्ता है। इसलिए उसे समझना और उसके हिसाब से ढलना मुश्किल नहीं होता। लेकिन समाज और उसके विभिन्न अवयवों को बगैर माथापच्ची के नहीं समझा जा सकता।

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