शेयर बाज़ार का साफ संदेश है कि डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जवाबी टैरिफ लगाना न अमेरिका के लिए अच्छा है, न बाकी दुनिया या भारत के लिए। फिर भी हमारे देश का गोदी मीडिया और सरकार के बिके हुए अर्थशास्त्री शोर मचाए जा रहे हैं कि अमेरिका का टैरिफ लगाना भारत के लिए लाभप्रद है। खुद सरकार में बोलने की हिम्मत नहीं तो सूत्रों के हवाले खबरें चलाई जा रही हैं। ये वही सूत्र व अर्थशास्त्री हैं जो कोरोनाकाल में बता रहे थे कि चीन के संकट में फंसने से सारी दुनिया चाइना-प्लस-वन की नीति के तहत भारत के आगे बिछ जाएगी। लेकिन मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ऐसा कुछ नहीं कर पाया और निर्यात बाज़ार में चीन से खाली हुई जगह बांग्लादेश और वियतनाम जैसे छोटे देश झटक ले गए तो अब वही सूत्र व अर्थशास्त्री चाइना-प्लस-वन के साथ बांग्लादेश-प्लस-वन और वियतनाम-प्लस-वन के अवसर गिनाने लगे हैं। ऐसे बिके हुए विद्वानों का कहना है कि अमेरिका के बढ़े हुए टैरिफ का सबसे बुरा असर इलेक्ट्रॉनिक्स और जेम्स व ज्वैलरी सेक्टर पर पड़ेगा। लेकिन यह असर भी बहुत सीमित और थोड़े समय का होगा क्योंकि इनके वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा बहुत मामूली है। ये विघ्नसंतोषी कह रहे हैं कि चीन, वियतनाम व इंडोनेशिया के नुकसान में भारत का फायदा है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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