सरकार में डीजल के दाम तय करने को लेकर मतभेद बुधवार को उभर कर सामने आ गए, जब योजना आयोग ने डीजल के दाम को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का पक्ष लिया, जबकि भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने सरकार के सामाजिक दायित्व को देखते हुए डीजल पर सब्सिडी जारी रखने का समर्थन किया।
राजधानी दिल्ली में सियाम (सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स) के सालाना समारोह को संबोधित करते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारत को अपनी नीति का तालमेल ऊर्जा की हकीकत के साथ बिठाने की जरूरत है क्योंकि विश्व ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है, जबकि ऊर्जा की लागत अधिक होगी।
अहलूवालिया ने कहा, डीजल और पेट्रोल की कीमत की मौजूदा गड़बड़ी को पहले ठीक किया जाना चाहिए। सरकार ने पिछले साल जून में पेट्रोल की कीमत पर से नियंत्रण हटा लिया था, लेकिन डीजल अब भी सरकारी मूल्य नियंत्रण के साथ बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि लंबे समय में सब्सिडी के साथ डीजल बेचना व्यवहार्य नहीं होगा और हमें ऊर्जा सुरक्षा को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है।
अहलूवालिया की टिप्पणी पर पटेल ने कहा, डीजल और पेट्रोल में फर्क बना रहेगा। यह खत्म नहीं होगा, क्योंकि हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। मंत्री ने यह भी कहा कि नीति निर्माताओं और सरकार को डीजल की परिभाषा की भी समीक्षा करने की जरूरत है, वे इसे गंदा ईंधन मानते हैं। पटेल ने कहा, पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से डीजल प्रौद्योगिकी को लेकर सवाल उठाए गए, लेकिन यदि हम यूरोप और अन्य विकसित देशों को देखें तो पता चलता है कि इन देशों में डीजल प्रौद्योगिकी इतनी विकसित है कि वो पेट्रोल प्रौद्योगिकी से भी बेहतर साबित हुई है।
पटेल ने इस संभावना से भी इनकार किया कि निकट भविष्य में डीजल सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो सकता है। उन्होंने कहा, फिलहाल सरकार का डीजल मूल्य में परिवर्तन का कोई विचार नहीं है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 63.70 रुपए प्रति लीटर और डीजल 41.29 रुपए प्रति लीटर है। पेट्रोल को तो सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन डीजल के दाम अब भी सरकार तय करती है।