प्रयोगशाला में कृत्रिम जीवन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है। ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की मेडिकल रिसर्च काउंसिल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसे अणु बनाए हैं जो अपने अंदर डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लीक एसिड) व आरएनए (राइबो न्यूक्लीक एसिड) की खूबियां समेटे हुए हैं। ये अणु डीएनए व आरएनए की तरह खुद एक से अनेक हो सकते हैं, सूचनाएं रख सकते हैं और गुणों की विरासत को सहेजे रखते हुए विकसित भी हो सकते हैं।
टीम के एक वैज्ञानिक विटॉर पिनहेरियो का कहना है कि सूचनाएं रखना और गुणों की विरासत को सहेजकर विकसित होना कोई नई बात नही हैं। ऐसे अणु पहले से खोजे जा चुके हैं। लेकिन खुद एक से अनेक होने का गुण किसी भी अणु के लिए एकदम नया है। इस खोज का इस्तेमाल ऐसी दवाएं बनाने में किया जा सकता है जिनका मामूली या कोई साइड-एफेक्ट नहीं होता।
इससे यह भी सवाल उठा है कि क्या ऐसे जटिल जीव बनाना संभव है जो अभी की मान्यता के विपरीत जेनेटिक कोड के हिसाब से नहीं चलते। पिनहेरियो का कहना है, “यह खोज दिखाती है कि जीवन का मतलब डीएनए या आरएनए ही नहीं होता। हमने इनमें से एक अणु से कामकाजी एनजाइम बना लिया है। लेकिन पूरी तरह प्रोटीन बनाने में अभी देर है।”
बता दें कि डीएनए किसी जीव की कोशिका के नाभिक में मौजूद वह यौगिक है जो न्यूक्लियोटाइड्स कहे जानेवाले रसायनों से बनता है। इन रसायनों में चार तरह के क्षार होते हैं। आरएनए भी काफी हद तक डीएनए जैसा ही होता है। यूं समझ लीजिए कि डीएनए किसी क्रेडिट कार्ड पर लगी मैग्नेटिक स्ट्रिप है तो आरएनए उसका स्कैनर है।