मोदी सरकार ने अपने टुच्चे स्वार्थ के लिए भारत को अमेरिका और चीन के दो पाटों के बीच बुरी तरह फंसा दिया है। वो ट्रम्प के 26% जवाबी टैरिफ का विरोध इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि अमेरिका में न्याय विभाग की सघन जांच के बाद न्यूयॉर्क की संघीय अदालत ने गौतम अडाणी के खिलाफ रिश्वतखोरी और फ्रॉड का अभियोग तय कर दिया है। इस पर पिछले महीने हेग कन्वेंशन के तहत भारत सरकार को अहमदाबाद की एक ज़िला अदालत के जरिए अडाणी को अमेरिकी अदालत में हाज़िर होने का समन तक देना पड़ा। अडाणी वहां गए तो गिरफ्तार भी किए जा सकते हैं। इसलिए मोदी सरकार ट्रम्प के आगे पस्त पड़ी हुई है। दूसरी तरफ चीन ने मोदी सरकार की इस कमज़ोरी का फायदा उठाकर भारत में अपना माल डम्प करने की तैयारी कर ली है। यह आशंका ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीटीआरआई) जैसी शीर्षस्थ संस्था ने जताई है। चीन अमेरिका में जवाबी टैरिफ के चलते जो माल नहीं भेज पाएगा, उसे वो भारत व यूरोपीय संघ में खपा सकता है। यही नहीं, चीन भारत का इस्तेमाल ‘थर्ड पार्टी एक्सपोर्ट’ के लिए भी करने में जुटा है जिसमें भारत के निर्यातक चीन का माल अपने नाम से भेज सकते हैं। मोदी सरकार इससे अच्छी तरह वाकिफ है। लेकिन चीन से भी अडाणी के हित जुड़े हैं। इसलिए वो चुप बैठी हुई है। अब बुधवार की बुद्धि…
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