ऑपेरेशन सिंदूर में आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलों का जो श्रेय मोदी सरकार के मेक-इन इंडिया अभियान को दिया जा रहा है, उनका सफल परीक्षण 1990 के दशक में ही हो चुका था। हमारे डिफेंस क्षेत्र में बहुत सारी कंपनियां पहले से काम कर रही हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, भारत डायनेमिक्स, मझगांव शिपबिल्डर्स व कोचीन शिपयार्ड जैसी सरकारी कंपनियों से लेकर निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज, आइडियाफोर्ज, एस्ट्रा माइक्रोवेव और डेटा पैटर्न तक। ऊपर से हमारी 41 आयुध फैक्ट्रियां दशकों से तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और पश्चिम बंगाल में सक्रिय हैं। लेकिन मोदी सरकार ने इनकी उपेक्षा कर अम्बानी और अडाणी को डिफेंस क्षेत्र में बढ़ावा दिया। मोदी ने देशहित की आड़ में अपने यारों पर कृपा बरसा दी। याद करें कि राफेल सौदे के साथ ही कैसे अनिल अम्बानी ने खटाखट पिपावाव डिफेंस के अधिग्रहण से अपनी कंपनी बनाकर राफेल के मेनटेनेंस का ठेका हथिया लिया। उनकी स्वान डिफेंस पर गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक कृपा बरसी है। वहीं, 2015 में बनी अडाणी डिफेंस पांच तरह के मिसाइल व तमाम ड्रोन से लेकर पिस्तौल व मशीनगन तक बना रही है। उसका मुख्यालय अहमदाबाद तो दो फैक्ट्रियां उत्तर प्रदेश के कानपुर में 500 एकड़ में फैली हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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