तिनका-तिनका डूब तो उछलेंगे ज़रूर

अच्छी बात है कि निफ्टी अब गिरकर बाजार के उस्तादों के मनोवांछित टेक्निकल स्तर पर आ गया है। फिलहाल बाजार ओवरसोल्ड अवस्था में है। यह तेजडियों के लिए सुनहरा मौका है कि वे निफ्टी को 200 अंक तक उठाकर जबरदस्त मुनाफा कमाने की सूरत निकाल लें। हमें निफ्टी की इस गति का अहसास था और हमने खुद को खास-खास सूचनाओं वाले चुनिंदा स्टॉक्स पर केंद्रित किया। ये स्टॉक गिरते बाजार में भी निश्चित रूप से बढ़ रहे हैं। हमने सेंचुरी टेक्सटाइल्स व आइडिया सेलुलर में खरीद की थी और दोनों ने ही बाजार को मात दिया है। आज हमने बॉम्बे डाईंग में खरीद की सलाह दी है और यह दोपहर तक 2.50 फीसदी बढ़कर 385.90 रुपए तक चला गया। हालांकि बाद में बाजार की आम बिकवाली का शिकार हो गया।

जहां तक सेंचुरी का ताल्लुक है तो मीडिया की खबरों के मुताबिक वह अपना पेपर डिवीजन बेच रही है और इसे आईटीसी खरीदने को आतुर है। लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार बहुराष्ट्रीय कंपनी इंटरनेशनल पेपर इसे ज्यादा दाम देकर खरीदना चाहती है क्योंकि उसकी नजर इस डिवीजन के बाई-प्रोडक्ट ब्लैक लिकर पर है जिसमें इंटरनेशनल पेपर के पास खुद का मजबूत आधार है। मुझे लगता है कि सेंचुरी खुद को पेपर डिवीजन तक बेचने तक सीमित रखेगी क्योंकि कागज उद्योग इस समय तेजडियों की गिरफ्त में हैं।

तार्किक रूप से यह पूरे बिजनेस की रीस्ट्रक्चरिंग का संकेत हो सकता है। यह रिटेल व्यवसाय में उतरने का मामला भी हो सकता है। यह भी संभव है कि सेंचुरी अपने रीयल्टी कारोबार को अलग कर दे क्योंकि सूत्रों के मुताबिक उसने वरली (मुंबई) की प्रॉपर्टी को डेवलप करना शुरू कर दिया है और उसका एक बड़ा हिस्सा बिक्री के लिए पेश कर दिया है।

यह बॉम्बे डाईंग के लिए वाकई अच्छी खबर हो सकती है क्योंकि उसके लिए भी जमीन बड़ा मसला है। साथ ही बॉम्बे डाईंग ने अपना ऋण 600 करोड़ घटाने की घोषणा की है और उसकी कंपनी गो एयर 72 ए-320 एयरक्राफ्ट खरीद रही है। सौदा करीब 700 करोड़ डॉलर (31,450 करोड़ रुपए) सवाल उठता है कि इतना सारा धन कहां से आएगा? क्या कंपनी शेयरों का प्लेसमेंट करेगी और अगर हां तो मूल्य कितना रखा जाएगा? अगर मुझे ठीक से याद है तो प्रवर्तकों ने प्रिफरेंशियल आवंटन में लगभग 630 रुपए के मूल्य पर कंपनी के शेयर लिए थे। फिर क्या वे इससे कम (मौजूदा मूल्य 385 रुपए) पर अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं? बाकी फैसला आप पर है क्योंकि मैं तो इस स्टॉक को लेकर हमेशा से तेजी की धारणा रखता रहा हूं। इसे बहुत सारी जमीन मुफ्त में मिली हुई है, जबकि अन्य रीयल्टी कंपनियों के साथ ऐसा नहीं है।

वापस बाजार पर लौटें तो यह सच है कि पूरे माहौल में निराशा छा गई है। बाजार की नब्ज बड़ी धीमी पड़ गई है। सेंसेक्स 17,844.09 तक चला गया। निफ्टी 5355.85 तक गिरने के बाद थोड़ा उठा है। हर तरफ शॉर्ट सेल हुई पड़ी है। लेकिन मेरी राय है कि बाजार काफी ज्यादा गिर चुका है और अब वो यहां से बाउंस-बैक करेगा। मामूली खरीद भी तेजी का सबब बन सकती है और निफ्टी 200 अंकों की बढ़त हासिल कर सकता है। बाकी सारी बातों को किनारें रख दें तो अकेले शॉर्ट कवरिंग यह चमत्कार दिखा सकती है।

शेयर बाजार से कमाने के दो तरीके हैं। एक, शॉर्ट सौदे किए जाएं, यानी ज्यादा पर बेचकर कम पर खरीदकर डिलीवरी दी जाए और इस प्रक्रिया में मुनाफा कमा लिया जाए। दूसरा, गिरने पर खरीद की जाए और बढ़ने पर बेचकर मुनाफा कमा लिया जाए। हमारा मानना है कि बाजार भले ही गिरता जाए, हर डुबकी पर खरीद की जानी चाहिए क्योंकि तिनका-तिनका डूबने के दौर में छलांग हमेशा बहुत तेज होती है।

काम करने से हमेशा खुशी मिले, जरूरी नहीं। लेकिन काम किए बिना खुशी कभी नहीं मिलती।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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