लिस्टेड कंपनियों में 25% पब्लिक हिस्सा

शेयर बाजार में अगले कुछ सालों में पब्लिक इश्यू की बाढ़ आ सकती है क्योंकि सरकार ने तय कर दिया है कि किसी भी लिस्टेड कंपनी में पब्लिक होल्डिंग कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए। क्रिसिल इक्विटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय शेयर बाजारों में लिस्टेड 179 कंपनियों ऐसी हैं जिनमें पब्लिक होल्डिंग 25 फीसदी से कम हैं। अगर ये कंपनियां अपनी शेयधारिता सरकार की बताई सीमा में लाती हैं तो पूंजी बाजार में दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के इश्यू आ सकते हैं।

बता दें कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 9 जुलाई 2009 को ही अपने बजट भाषण में यह प्रस्ताव पेश किया था। तभी से वित्त मंत्रालय में इस पर काम चल रहा था। अब शुक्रवार को सरकार ने बाकायदा अधिसूचना जारी कर तय कर दिया है कि किसी भी लिस्टेड कंपनी में पब्लिक होल्डिंग 25 फीसदी के कम नहीं हो सकती। दूसरे शब्दों में लिस्टेड कंपनियों की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सा 75 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता।

वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि जिन कंपनियों में पब्लिक होल्डिंग 25 फीसदी से कम हो गई है, उन्हें कम से कम हर साल 5 फीसदी पब्लिक हिस्सेदारी बढ़ाकर इसे जल्दी से जल्दी 25 फीसदी पर लाना होगा। लेकिन अगर किसी कंपनी में पब्लिक होल्डिंग 21 से 24 फीसदी है तो वह 4 से 1 फीसदी शेयर ही जारी कर सकती है।

मंत्रालय का कहना है कि अगर कोई कंपनी 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा का आईपीओ लाती है तो ऐसी नई लिस्ट होनेवाली कंपनी को 10 फीसदी शेयर पब्लिक के लिए जारी करने की इजाजत दी जा सकती है। लेकिन बाद के सालों में उसे हर साल कम से कम 5 फीसदी इक्विटी पब्लिक को बेचकर 25 फीसदी की शर्त पूरी करनी होगी। अगर किसी लिस्टेड कंपनी में पब्लिक होल्डिंग साल के दौरान 25 फीसदी से कम हो जाती है तो उसे 12 महीने के भीतर इस कमी को पूरा कर लेना होगा।

एचडीएफसी सिक्यूरिटीज में प्राइवेट ब्रोकिंग व वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख वी के शर्मा का कहना है कि यह बाजार के लिए बहुत अच्छी खबर नहीं है क्योंकि वहां से पहले से ही इश्यू की बाढ़ आई हुई है। हालांकि सरकार ने कंपनियों को इसके लिए वक्त दिया है, इसलिए तुरंत बाजार में कोई नाटकीय गिरावट नहीं आ सकती। अभी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां ऐसी हैं जिनमें उनकी मूल कंपनियों की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है। सरकार के नए नियम के बाद हो सकता है कि वे स्टॉक एक्सचेंजों से खुद को डीलिस्ट करवा लें क्योंकि पब्लिक को ज्यादा हिस्सा देना उनकी रणनीति के खिलाफ है।

लेकिन भारतीय कंपनियां जरूर प्रवर्तकों की हिस्सेदारी अब घटाने की राह पर चल पड़ेंगी। इसमें सरकार की करीब 60 कंपनियां शामिल हैं। क्रिसिल इक्विटी का आकलन है कि पब्लिक होल्डिंग लाने के लिए करीब दो लाख करोड़ रुपए के जो इश्यू लाए जाएंगे, उसमें लगभग 82 फीसदी हिस्सेदारी तो सरकार की 29 लिस्टेड कंपनियों की होगी। इनमें एमएमटीसी जैसी कंपनियां शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय का कहना है कि उसने यह कदम शेयरों के भाव में ज्यादा छेड़छाड़ को रोकने के लिए उठाया है क्योंकि पब्लिक की हिस्सेदारी ज्यादा होने से बाजार में गहराई और व्यापकता आएगी। इससे निहित स्वार्थों के लिए शेयर भावों को जबरन उठाना या गिराना मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि लंदन स्टॉक एक्सचेंज में भी न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक होल्डिंग की शर्त लागू है। हालांकि सिंगापुर व हांगकांग के शेयर बाजारों में यह सीमा 12 से 25 फीसदी के बीच रखी गई है।

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