पहले जो है जैसा है, उससे चिढ़े नहीं, स्वीकार करें। मन की खदबद को न तो आप रोक सकते हैं और न ही रोकना चाहिए। उसे चलने दें। गंभीरता से लें। शांत मन जरूर एक न एक दिन समाधान निकाल लेगा।
2011-08-04
पहले जो है जैसा है, उससे चिढ़े नहीं, स्वीकार करें। मन की खदबद को न तो आप रोक सकते हैं और न ही रोकना चाहिए। उसे चलने दें। गंभीरता से लें। शांत मन जरूर एक न एक दिन समाधान निकाल लेगा।
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