बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के शेयरों पर सबसे ज्यादा दांव लगा है म्यूचुअल फंडों का

दो साल पुराने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के निवेश को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा है। लेकिन हमारे म्यूचुअल फंडों ने अपना सबसे ज्यादा निवेश इसी क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में कर रखा है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के मिली जानकारी के मुताबिक मई अंत तक  म्यूचुअल फंडों ने अपनी कुल आस्तियों का 14.14 फीसदी हिस्सा बैंकों और 5.01 फीसदी हिस्सा फाइनेंस कंपनियों के शेयरों में लगा रखा था। इस तरह उनकी आस्तियों (एयूएम) का 19.15 फीसदी हिस्सा बैंक व फाइनेंस कंपनियों में लगा हुआ था।

गौरतलब है कि मई माह में म्यूचुअल फंड उद्योग का कुल एयूएम 8,03,559 लाख करोड़ रुपए रहा है। इसमें से 71,181 करोड़ रुपए उन्होंने सोने या दूसरी चीजों में लगाए थे और 7,32,378 करोड़ रुपए ऋण प्रपत्रों व इक्विटी में लगाए थे। इसमें से भी ऋण प्रपत्रों में निवेश 5,33,454 करोड़ रुपए यानी 72.84 फीसदी हिस्सा था। बाकी 27.16 फीसदी या 1,98,924 करोड़ रुपए उन्होंने इक्विटी में लगाए थे। थोड़ा-थोड़ा निवेश उन्होंने हर औद्योगिक क्षेत्र में कर रखा है। लेकिन उनका सबसे कम 0.01 फीसदी निवेश सिंथेटिक टेक्सटाइल और 0.05-0.05 फीसदी निवेश हेल्थकेयर सेवाओं व इंजीनियरिंग क्षेत्र में है, जबकि सबसे ज्यादा निवेश बैंक व फाइनेंस कंपनियों में है। अच्छे मानसून की भविष्यवाणी के बाद जिस उर्वरक व पेस्टीसाइड क्षेत्र में काफी बढ़त की संभावना नजर आ रही थी, उसमें म्यूचुअल फंडों का निवेश क्रमशः 0.97 फीसदी व 0.76 फीसदी ही था।

सेबी के आंकड़ों के मुताबिक मई माह तक म्यूचुअल फंडों ने बैंकों के शेयरों में 28,124.63 करोड़ और फाइनेंस कंपनियों के शेयरों में 9966.35 करोड़ रुपए लगा रखे थे। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों में 12,469.24 करोड़ (6.27 फीसदी), फार्मा में 13,097.20 करोड़ (6.58 फीसदी) और बिजली में 13,109.39 करोड (6.59 फीसदी) लगा रखे थे। उन्होंने कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर के शेयरों में केवल 0.57 फीसदी निवेश कर रखा था, जबकि कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल सेक्टर के शेयरों में कुल आस्तियों का 6.27 फीसदी लगा रखा था। जहां सॉफ्टवेयर कंपनियों में उनका निवेश 7.11 फीसदी था, वहीं टेलिकॉम उपकरण निर्माता कंपनियों में केवल 0.35 फीसदी।

कॉरपोरेट क्षेत्र और शेयर बाजार में अंदर तक पैठ रखनेवाले एक शख्स ने अपना नाम न जाहिर करते हुए बताया कि म्यूचुअल फंडों के निवेश में कहीं से भी प्रोफेशनल रवैया नहीं झलकता। इसकी बड़ी वजह यह है कि
इनके एयूएम का 58 फीसदी हिस्सा अब भी कॉरपोरेट क्षेत्र से आता है और कंपनियां जब निवेश करती हैं तो म्यूचुअल फंडों के निवेश का पैटर्न भी वे ही तय करती हैं। यह एक ऐसा दुष्चक्र है जिसमें म्यूचुअल फंड सारी विशेषज्ञता के बावजूद आम निवेशकों को अच्छा रिटर्न नहीं दे पा रहे हैं। इसलिए म्यूचुअल फंडों पर कंपनियों की बपौती को तोड़ना जरूरी हो गया है।

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