मैकनल्ली भारत में भयंकर ऊंच-नीच

मैकनल्ली भारत इंजीनियरिंग कंपनी इस साल अपनी स्वर्ण जयंती बना रही है। कोलकाता के विलियमसन मैगर समूह की कंपनी है। 1961 से कार्यरत कंपनी का तंत्र बाहर तक फैला है। फ्रांस, रूस, पोलैंड, जर्मनी, चीन व यूक्रेन तक की कंपनियों से तकनीकी सहयोग समझौता है। दो साल पहले 2009 में इसने जर्मन कंपनी केएचडी हमबोल्ट वेडाग की कोयला व खनन टेक्नोलॉजी डिवीजन खरीद ली। हंगरी में भी इसकी सब्सडियरी है। लेकिन सारे तामझाम के बावजूद है यह खांटी देशी कंपनी। नाम इसका इसलिए ऐसा है क्योंकि इसने शुरुआत अमेरिकी कंपनी मैकनल्ली पिट्सबर्ग की भारतीय शाखा के रूप में की थी। फिलहाल दीपक खैतान इस साल अगस्त से कंपनी के चेयरमैन बने हैं। अभी तक वे एवरेडी इंडस्ट्रीज का कामधाम संभाल रहे थे।

मैकनल्ली भारत के इतिहास में बड़ा पेंच है। यह किसी समय सी के बिड़ला समूह की कंपनी थी। बाद में इसके गिरवी रखे शेयरों के एवज में दीपक खैतान के परिवार ने कंपनी में सी के बिड़ला समूह के सारे शेयर खरीद लिए। इस समय कंपनी की 31.09 करोड़ रुपए की इक्विटी में खैतान परिवार ने विलिमयसन मैगर, किलबर्न इंजीनियिरंग व मैकलियाड रसेल जैसी कंपनियों के जरिए 32.28 फीसदी हिस्सेदारी बना रखी है। लेकिन इसका 43.09 फीसदी हिस्सा (कंपनी की कुल इक्विटी का 13.91 फीसदी) उन्होंने गिरवी रखा हुआ है।

कंस्ट्रक्शन व इंजीनियरिंग कंपनी है तो बराबर नए-नए ठेके मिलते रहते हैं। अभी दो हफ्ते पहले उसकी जर्मन सब्सिडियरी को 1.54 करोड़ यूरो (करीब 107 करोड़ रुपए) का काम मिला है। उसके महीने भर पहले उसे भारतीय कंपनी सुराणा पावर से 86 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट मिला था। उससे पहले उसे सरकारी कंपनी बीएचईएल व एनएमडीसी ने 98.13 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिला था। चलता रहता है यह सिलसिला। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 1758.29 करोड़ रुपए की आय पर 49.49 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष में सितंबर 2011 की तिमाही में उसकी आय 23.99 फीसदी बढ़कर 498.05 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 10.97 फीसदी बढ़कर 10.72 करोड़ रुपए हो गया है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) अभी समेकित आधार पर 19.14 रुपए और स्टैंड-एलोन आधार पर 16.74 रुपए है।

कंपनी का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532629) में 98.90 रुपए और एनएसई (कोड – MBECL) में 99.05 रुपए पर बंद हुआ है। इस शेयर ने हफ्ते भर पहले ही 24 नवंबर 2011 को 94 रुपए पर 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर बनाया है और फिलहाल उसी के आसपास चल रहा है। स्टैंड-एलोन रूप से यह अभी 5.9 और समेकित रूप से 5.17 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। आप यकीन नहीं करेंगे कि यह शेयर नौ महीने पहले 28 फरवरी 2011 को 248.80 रुपए के शिखर पर था। उससे पहले अप्रैल 2010 में यह 385 रुपए पर अपनी पताका लहरा रहा था। दो हफ्ते पहले 17 नवंबर को कुछ टेक्निकल एनालिस्टों ने बताया था कि इसमें ‘इनवर्टेड हैमर कैंडरस्टिक पैटर्न’ बन रहा है और यह 111 रुपए तक जाएगा। लेकिन उसके बाद यह 94 रुपए का बॉटम बना चुका है।

इसलिए इस स्टॉक के साथ जोखिम तो जबरदस्त है। लेकिन बढ़ने की संभावनाएं भी बहुत हैं। एक तो कोलकाता की कंपनी है जहां बहुत सारे उस्ताद लोग बैठे हैं। दूसरे कंपनी का प्रवर्तक खैतान परिवार भी कम खिलाड़ी नहीं है। कल कंपनी के शेयरों में अचानक भारी खरीद हुई है और वो भी ज्यादातर डिलीवरी के लिए। जैसे, बीएसई में इसके 1.46 लाख शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 98.68 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए 1.45 लाख शेयरों में से 99.70 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। बीएसई व एनएसई में इसमें अमूमन 8-10 हजार शेयरों का ही कारोबार होता रहा है। इसलिए इस पर निगाह रखने की जरूरत है। एकदम तहलटी तक पहुंचने के बार शेयर के सामने एक ही चारा रहता है बढ़ने का। लेकिन यहां तो तलहटी कब पाताल तक चली जाएगी, कह पाना मुश्किल है!!!

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