कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने तय किया है कि अगर कंपनी के किसी अनुबंध को उसके शेयरधारक आमसभा में विशेष प्रस्ताव लाकर पारित कर देते हैं तो मंत्रालय उसे अपना अनुमोदन ऑनलाइन दे देगा। ऐसा समय की अनावश्यक बरबादी को रोकने के लिए किया गया है। इसके लिए कंपनी एक्ट, 1956 की धारा 297 के तहत प्रावधान किया गया है जिसे 24 सितंबर, 2011 से लागू कर दिया जाएगा।
नई प्रक्रिया के तहत तय शुल्क देकर अब अनुमोदन के लिए आवेदन नए ई-फॉर्म के जरिए किए जा सकते हैं। ई-फॉर्म में करार या अनुबंध की शर्तें और निदेशक बोर्ड के प्रस्तावों के विस्तृत विवरण जैसी तमाम काम की सूचनाएं होंगी। इस ई-फॉर्म को किसी कामकाजी प्रोफेशनल से प्रमाणित भी कराना होगा। वह कंपनी द्वारा ई-फॉर्म में दी गई सूचनाओं और घोषणाओं की सत्यता को प्रमाणित करेगा।
अगर ई-फॉर्म में कंपनी द्वारा दी गई किसी सूचना या उसके द्वारा की गई घोषणा और प्रोफेशनल की पुष्टि में गलती पाई गई तो आवेदक कंपनी, उसके निदेशक व प्रोफेशनल के खिलाफ कंपनी एक्ट, 1956 की धारा 297 और 628 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा सरकार ने कंपनी एक्ट, 1956 की धारा 141 के अंतर्गत आरोपों के रजिस्टर में सुधार की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। कानून मंत्रालय ने प्रक्रिया के सुधार और समय में कमी करने के उद्देश्य से 2003 (1) के कंपनी (दूसरा संशोधन) कानून, 2002 की धारा 20 को अधिसूचित करने का फैसला किया है जिसके बाद कंपनी एक्ट, 1956 की धारा 141 के अंतर्गत आरोपों के रजिस्टर में सुधार का काम, कंपनी लॉ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से हटाकर केंद्र सरकार को सौंप दिया जाएगा।
यह भी निर्णय लिया गया है कि जिस कंपनी रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय पड़ता है, संबंधित आरोप रजिस्टर के सुधार का काम उसी कंपनी रजिस्ट्रार को सौंपा जाएगा। इस अधिसूचना की प्रभावी तारीख तक कंपनी लॉ बोर्ड में दाखिल की गयी याचिकाएं, संबंधित कंपनी रजिस्ट्रार को हस्तांतरित कर दी जाएगी।