शेयर बाज़ार बम-बम कर रहा है। निफ्टी और सेंसेक्स बराबर नई ऊंचाई छू रहे हैं। लेकिन यह तेज़ी तभी जारी रह सकती है जब अर्थव्यवस्था का तेज़ विकास होता रहे और यह तभी संभव है जब मोदी सरकार अब साहसी व गंभीर आर्थिक सुधार लागू करे। देश का उद्योग समुदाय, खासकर बड़ी देशी-विदेशी कंपनियां और सीआईआई व फिक्की जैसे उद्योग संगठन ऊपर-ऊपर आश्वस्त हैं कि कमज़ोर राजनीतिक बहुमत के बावजूद मोदी सरकार देश में तमाम मूलभूत आर्थिक सुधार लागू कर सकती है। लेकिन इन्हीं के बीच का एक तबका दबी जुबान से यह भी बोलता है कि जब पिछले दो कार्यकाल में मोदी सरकार के पास अच्छा-खासा बहुमत था, तब भी उसने सार्थक व बड़े संरचनात्मक आर्थिक सुधार लागू नहीं किए, तब आज बैसाखियों पर टिकी सरकार ऐसा कैसे कर सकती है? अभी तो उसकी पहली प्राथमिकता अपनी सरकार को बनाए रखने की होगी! इस तबके का कहना है कि प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई), मेक-इन इंडिया या स्टार्ट-अप और स्टैंड-अप इंडिया कोई सार्थक आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि लुभावने नारे भर थे। असली चुनौती आगे है। अब सोमवार का व्योम…
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