एलजी बालाकृष्णन: दम परंपरा का

हर कोई अक्सर अपने कर्मं की सार्थकता के बारे में सोचता है। मैं भी कभी-कभी सोचता हूं कि जो काम कर रहा हूं, उसकी सार्थकता क्या है। नोट बनाने का लालच तो सब में है। लेकिन इस देश में बचानेवाले कितने हैं और इन बचानेवालों में भी अपने धन को जोखिम में डालने की जुर्रत कितने लोग कर सकते हैं? फिर आखिर मैं किसकी सेवा में लगा हूं? इन लोगों की हालत तो वही है कि गंजेड़ी यार किसके, दम लगाकर खिसके। इन धनवालों के पास तो धन बनाने की सीख के लिए धन फेंकने के बहुत सारे दरिया हैं। खैर, दिमाग का काम है सोचना तो वह सोचना रहता है। जीवन एक चक्र है तो चक्र का काम चलते रहना चाहिए।

आज चर्चा भारतीय उद्योग की परंपरा में धंसी एक ऐसी कंपनी की जो अत्याधुनिक तकनीक के साथ बढ़ रही है। एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रदर्स कोयम्बटूर की 1937 में बनी कंपनी है। मुख्यतः वाहनों के लिए उपकरण बनाती है। फाइन ब्लैंकिंग, फोर्जिंग, वायर ड्राइंग और न जाने क्या-क्या। जो समझ में आता है, वह यह कि चेन, टेंशनर, स्प्रॉकेट व मेटल के बेल्ट वगैरह बनाती है। सारा कुछ इन-हाउस। स्टील रोलिंग से लेकर टूलिंग तक। चेन बनाने में बड़ी बारीकी चाहिए तो उसके सारे इंतजाम कर रखे हैं। टूल डिवीजन में इसने माइक्रॉन सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल) बोरिंग मशीन, सीएनसी वायर कटिंग व स्पार्क इरोजन जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। ऊपर से लेकर नीचे तक सारा कामकाज एकीकृत है। चेन बनाने के उसके 17 संयंत्र कोयम्बटूर से लेकर मैसूर, बेंगालुरु, डिंडूगल, करूर व पुणे तक फैले हैं।

देश के भीतर बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर्स, कल्याणी ब्रेक्स, ब्रेक्स इंडिया, बॉश और लार्सन एंड टुब्रो तक उसके ग्राहक है। चेन के घरेलू बाजार में उसकी 70 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि रिप्लेसमेंट बाजार का करीब 50 फीसदी हिस्सा उसके पास है। विदेश में वह अपना माल अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका व मध्य-पूर्व के देशों के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व जापान तक को करती है।

बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी ब्रिकी 28.45 फीसदी बढ़कर 709.52 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 84.45 फीसदी बढ़कर 45.80 करोड़ रुपए हो गया था। इस साल 2011-12 में जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 40.49 फीसदी बढ़कर 11.97 करोड़ रुपए और सितंबर तिमाही में 31.97 फीसदी बढ़कर 14.82 करोड़ रुपए हो गया है। उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का स्टैंड-एलोन ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 67.31 रुपए है, जबकि प्रति शेयर बुक वैल्यू 248.94 रुपए है।

कल उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500250) में 285.25 रुपए और एनएसई (LGBROSLTD) में 284.80 रुपए पर बंद हुआ है। इस तरह यह फिलहाल 4.24 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। इसमें पिछले ही महीने 9 नवंबर 2011 को 349.40 रुपए पर 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर हासिल किया है। तब इसका पी/ई अनुपात 6.26 था। लेकिन साल भर पहले नवंबर 2010 में यह 13.82 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ था और तब इसका भाव 410 रुपए था। इसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 233.05 रुपए का है जो इसने 11 फरवरी 2011 को हासिल किया था। इसका इक्विटी पर रिटर्न 26.16 फीसदी और नियोजित पूंजी पर रिटर्न 21.90 फीसदी है।

इस स्टॉक में अगले साल नवंबर तक के लिए निवेश करना लाभप्रद रहेगा। एक तो लगता है कि इसका चक्र नवंबर से नवंबर तक का है। दूसरे स्मॉल कैप कंपनी है। जरा-सी हलचल से शेयर में चहक आ सकती है। बस समस्या यह है कि इसमें ट्रेडिंग ज्यादा नहीं होती। जैसे, कल बीएसई में इसके मात्र 291 शेयरों में ट्रेडिंग हुई, जिसमें से 226 या 77.66 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। इसी तरह एनएसई में ट्रेड हुए कुल 1052 शेयरों में से 642 या 61 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।

कंपनी की इक्विटी पूंजी मात्र 7.85 करोड़ रुपए है। इसका 45.70 फीसदी प्रवर्तकों के पास है, जबकि एफआईआई ने इसके 7.58 फीसदी और डीआईआई ने 0.02 फीसदी शेयर ले रखे हैं। कंपनी लाभांश देने में कोई कोताही नहीं करती। बीते वित्त वर्ष 2010-11 के लिए उसने 10 रुपए पर 10 रुपए यानी 100 फीसदी लाभांश दिया है।

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