सेंचुरी टेक्सटाइल्स के 400 से बढ़कर 455 रुपए और एचडीआईएल के 164 से बढ़कर 200 रुपए तक पहुंचने ने साफ-साफ रीयल्टी सेक्टर में छिपी संभावनाओं की झलक दिखा दी है। यह बात आप खुली आंखों से देख सकते हैं। लेकिन भविष्य के गर्भ में छिपी लंबी कहानी आपको दिमाग लगाकर पढ़नी होगी। निफ्टी 5750 से पलटकर 5960 तक आ चुका है। बहुत से लोग अब भी कह रहे हैं कि यह तात्कालिक राहत की रैली है। लेकिन पिछले दस सालों से मैं राहत की ऐसी रैलियां देखता रहा हूं और मैने पाया है कि ऐसी हर रैली पर बाजार ने नई ऊंचाई पकड़ी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम तेजी के दौर या बुल रन से गुजर रहे हैं। यह हकीकत 2008 में गिरावट के उस सबसे खराब दौर पर भी लागू होती है जिसे शंकर शर्मा और रमेश दामाणी जैसे विशेषज्ञों ने सरेआम मंदी की फांस करार दिया था। बाजार उन तक को गलत साबित कर चुका है।
तेजी-मंदी, बुल-बियर… ये सब तकनीकी शब्दावलियां हैं। अब चूंकि 99 फीसदी बाजार ब्रोकरों और उनके टेक्निकल या तकनीकी सलाहकारों से संचालित होता है, इसलिए इन शब्दों से बचा नहीं जा सकता। दरअसल, करेक्शन या गिरावट शेयर बाजार का अभिन्न हिस्सा है। अगर शॉर्ट सेलर न हों तो बाजार कायदे से बढ़ ही नहीं सकता। अगर हर कोई (मेरे जैसे मूर्ख की तरह) लांग कॉल की एकतरफा रौ पकड़े रहे तो बाजार का कोई ओर-छोर ही नहीं रहेगा और वह पांच दिन में ही 5000 अंक चढ़ जाएगा।
जब तक संसद में गतिरोध बना रहता है तब तक सरकार बाजार का ध्यान हटाने की कोशिश करती रहेगी। केतन पारेख के सक्रिय होने की खबर आज मिड-डे के पहले पेज पर छापी गई। बाजार में हर कोई इस खबर से ज्यादा जानकारी पहले से रखता है। खबर छप जाने से क्या फर्क पड़ता है क्योंकि आधिकारिक तौर पर उसके हाथ, उसके सारे पत्ते बंधे हुए हैं। बाजार इस शख्स पर सीबीआई या आईबी की कार्रवाई की चर्चा में मशगूल है, लेकिन इस कार्रवाई से क्या मिलेगा, यह कोई नहीं जानता।
बाजार में एक बार फिर चीन के कॉमोडिटी घोटाले की चर्चाएं चल निकली हैं। उस्ताद जी! एकदम सही बात है कि चीन का यह घोटाला सचमुच पूरा गोलमाल है। लेकिन कोई भी चीन को पटखनी नहीं दे सकता क्योंकि वह अब दुनिया की महाशक्ति है और उसके पास 3 लाख करोड़ डॉलर का नकद विदेशी मुद्रा भंडार है। चीन अमेरिका तक के लिए खतरा बन गया है और हम घोटाले की बात कर रहे हैं? हंसी आती है ऐसी नादान सोच पर। अरे, केवल चीन की सरकार ही इसे उजागर कर सकती है बशर्ते वो ऐसा चाहे। लेकिन, वो ऐसा चाहेगी, इसकी कोई वजह मुझे दूर-दूर तक नहीं नजर आती।
मेरा मानना है कि सात दिन में निफ्टी फिर से 6200 से 6300 के स्तर पर आ जाएगा और तब कोई भी घोटाले के बारे में बात नहीं करेगा। मीडिया ने रिश्वतखोरी कांड को 46,000 करोड़ रुपए का घोटाला बताया था। वो घोटाला अब कहां तेल लेने चला गया? अभी तक तो सामने आई रिश्वत की रकम 50 से 60 लाख रुपए तक ही पहुंच पाई है। बाजार को गहरे करेक्शन की जरूरत थी और वह इस बार निफ्टी में नहीं, अलग-अलग स्टॉक्स में आया है। बाजार के उस्तादों ने एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों और ऑपरेटरों को सबक सिखाकर चेतावनी दे दी है कि हम से ज्यादा उस्तादी करने की कोशिश न करना, नहीं तो हम तुम्हारे सारे कपड़े उतरवा लेंगे।
खैर, अब मोटे तौर पर सब कुछ काफी हद तक दुरुस्त हो चुका है। केयर्न-वेदांता डील के बारे में अब कोई भी फैसला बजट के बाद आएगा। बाजार की सारी विघ्न-बाधा संसद के गतिरोध के खत्म होने के साथ खत्म हो जाएगी और ऐसा इसी हफ्ते हो जाएगा। इसके बाद सब कुछ हमेशा के लिए चकाचक हो जाएगा। एक लाइन में मैं फिर अपनी बात दोहराना चाहता हूं कि जो हुआ, वैसा होना जरूरी था क्योंकि बाजार निफ्टी को 8000 अंक की मंजिल तक उठाकर ले जा रहा है। याद रखें, बाजार मर सकता है, लेकिन कभी रिटायर नहीं होगा…
अभी या कभी तो मुझे मरना ही है। लेकिन मैं कभी भी रिटायर नहीं होनेवाला हूं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)