जुलाई महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 9.22 फीसदी रही है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह बात उजागर हुई है। मुद्रास्फीति की दर इसके ठीक पिछले महीने जून में 9.44 फीसदी और ठीक साल भर पहले जुलाई 2010 में 9.98 फीसदी थी।
ऊपर से मुद्रास्फीति में कमी थोड़ा राहत का सबब दिखती है। लेकिन वित्त मंत्रालय को ऐसी कोई गफलत नहीं है। मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि चालू अगस्त महीने में मुद्रास्फीति की दर 10 फीसदी के एकदम करीब पहुंच सकती है।
जुलाई में मुद्रास्फीति का अनंतिम आंकड़ा 9.20 फीसदी के अनुमान के काफी करीब रहा है। इसलिए इसको लेकर शेयर बाजार या अन्य हल्कों में ज्यादा हलचल नहीं है। इस बीच सरकार ने मई 2011 में मुद्रास्फीति के अंतिम आंकड़े जारी कर दिए हैं। अनंतिम आंकड़ों में इसकी दर 9.06 फीसदी बताई गई थी, जबकि वास्तविक दर 9.56 फीसदी निकली है।
खास चिंता की बात यह है कि आम धारणा के विपरीत महंगाई खाद्य वस्तुओं से हटकर मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की तरफ बढ़ने लगी है। थोक मूल्य सूचकांक में 14.34 फीसदी का योगदान रखनेवाली खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति इस जुलाई में 8.19 फीसदी रही है, जबकि साल भर पहले यह 18.48 फीसदी थी। वहीं थोक मूल्य सूचकांक में 64.97 फीसदी का योगदान रखनेवाले मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की महंगाई दर इस बार 7.49 फीसदी रही है, जबकि साल भर पहले यह इससे कम 5.78 फीसदी थी।
इसलिए बहुत मुमकिन है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला अभी न रोके। नोट करने की बात है कि मार्च 2010 के बाद से रिजर्व बैंक अब तक 11 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है। अगले महीने 16 सितंबर को वह मौद्रिक नीति की दूसरी मध्य-त्रैमासिक समीक्षा जारी करेगा जिसमें रेपो व रिवर्स दर को 0.25 फीसदी बढ़ाए जाने का अनुमान है। यह दरें अभी क्रमशः 8 और 7 फीसदी हैं।