मुद्रास्फीति से लड़ने में हमारा रिजर्व बैंक तारे गिनता नज़र आ रहा है। उसके ब्याज दर बढ़ाने के बावजूद मुद्रास्फीति थम नहीं रही। अप्रैल में रिटेल मुद्रास्फीति आठ साल के शिखर 7.79% और थोक मुद्रास्फीति 15.08% रही है जो 2011-12 की नई सीरीज का शिखर है। रिजर्व बैंक जिस तरह ब्याज दर और सीआरआर (रिजर्व बैंक के पास बैंकों द्वारा रखे जानेवाली जमा का हिस्सा) बढ़ाकर सिस्टम में धन का प्रवाह रोक रहा है, उसका नकारात्मक असर पूंजी निवेश पर पड़ेगा। इससे देश की आर्थिक विकास दर कम हो जाएगी। नतीजतन, कंपनियों का मुनाफा घट जाएगा। नतीजतन, शेयर बाज़ार और ज्यादा गिर सकता है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अभी से भारत की इस साल की विकास दर का अनुमान 9.1% से घटाकर 8.8% कर दिया है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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