हमारे रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर व शिकागो यूनिवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर रघुराम राजन का कहना है कि भारत का 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बन पाना मुश्किल है और इस लक्ष्य की बात करना भी तब बकवास है जब देश के इतने सारे बच्चों के पास हाईस्कूल तक की शिक्षा नहीं है और डॉप-आउट दरें बहुत ज्यादा हैं। इस इंटरव्यू के बाद बहुत सारे सरकारी अर्थशास्त्री उनके पीछे पड़ गए और चिल्लाने लगे कि राजन भारत की सच्चाई से वाकिफ नहीं हैं। नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने तो यहां तक कह दिया कि राजन ‘पैराशूट अर्थशास्त्री’ हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था की उड़ान का दम भरने से पहले हमें ज़मीनी हकीकत पर गौर करना चाहिए। मोदीराज में 2014-15 से 2023-24 तक के दस साल में हमारी जीडीपी औसतन 5.9% और कृषि क्षेत्र 3.6% की सालाना दर से बढ़ा है। वहीं, 2004-05 से 2013-14 तक यूपीए शासन में जीडीपी औसतन 6.8% और कृषि क्षेत्र 3.5% सालाना की दर स बढ़ा था। भयंकर चिंता की बात यह है कि ताजा अनुमान के मुताबिक 2023-24 में कृषि क्षेत्र की विकास दर मात्र 0.7% रह गई है। जिस कृषि क्षेत्र में हमारी 45% श्रम-शक्ति लगी हो, जिसका योगदान अर्थव्यवस्था में अब भी 18% हो, उसकी ऐसी ही दुर्दशा बनी रही तो 25% देश विकसित बन सकता है, लेकिन 75% भारत कतई नहीं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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