इस समय एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स आयकर विभाग इसलिए नहीं वसूल पा रहा है क्योंकि उसके पास ऐसे कर-चोरों का सही पता-ठिकाना नहीं है। आयकर विभाग इन लोगों तक पहुंचने के लिए अब इनके नाम और पुराने पते अखबारो में छापने पर गौर कर रहा है।
हालांकि इसमें यह भी दिक्कत आ रही है कि इनमें बहुत सारे डिफॉल्टरों ने बेनामी संपत्तियां खड़ी कर रखी हैं। इसलिए उनका नाम भी गलत है। इस उलझन से निपटने के लिए विभाग आम लोगों की मदद लेगा। उसने तय किया है कि कर-चोरों या बेनामी संपत्ति के असली मालिकों की जानकारी देनेवालों को दूसरे प्रोत्साहनों के साथ नकद ईनाम भी दिए जाएंगे।
आयकर विभाग को लगता है कि इस तरह अखबार में नाम छपने से होनेवाली बदनामी से बचने के लिए बहुत से लोग सही तरीके से अपना देय टैक्स जमा करवा देंगे। बता दें कि कुछ साल पहले बिहार में नगरपालिकाओं ने बकाया शुल्क की वसूली के लिए किन्नरों का इस्तेमाल करने का नायाब तरीका अपनाया था।