भविष्य में कभी कोई मोदी सरकार के कर्मों का हिसाब करेगा, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथनी और करनी के अंतर का लेखा-जोखा करेगा तो उनकी राजनीतिक दक्षता, कौशल व धूर्तता की दाद देने से बच नहीं सकता कि कैसे इतने झूठ व पाप के बावजूद कोई शख्स जनमत या तंत्र को मैनिपुलेट करके तीसरी बार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सत्ता हासिल कर सकता है। मोदी ने आते ही ‘मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ का नारा दिया था। सबको लगा था कि सरकारी तंत्र अब धीरे-धीरे नेपथ्य में चला जाएगा और सामाजिक जीवन से लेकर अर्थव्यवस्था तक में सुशासन बढ़ता जाएगा। इस क्रम में सरकार के फालतू खर्च कम और जनकल्याण के खर्च बढ़ते जाएंगे। सामाजिक जीवन में सरकार का दखल कितना बढ़ा है, इसका सच तो दिन के उजाले की तरह सारे देश के सामने है। लेकिन अर्थव्यवस्था में सरकार की अंधेरगर्दी को एक से एक नए नारों के शोर से दबा दिया गया है। अगर हम वित्त वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक के दस सालों के डेटा पर नज़र डालें तो इस दौरान जहां हमारा जीडीपी नॉमिनल या ऊपर-ऊपर सतह के स्तर पर 10.02% की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर ₹124.71 लाख करोड़ से ₹324.11 लाख करोड़ हो गया, वहीं केंद्र सरकार का बजट 11.83% की सीएजीआर से बढ़कर ₹16.56 लाख करोड़ से ₹50.65 लाख करोड़ पर पहुंच गया। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...