दूर के ढोल ही नहीं, भगवान भी सुहाने लगते हैं। पास आकर भगवान पड़ोस में हमारी तरह रहने लगें तो हम उनकी भी बखिया उधेड़ डालें। इसीलिए सत्ता-लोलुप संत और नेता हम से दो गज दूर ही रहते हैं।
2011-07-04
दूर के ढोल ही नहीं, भगवान भी सुहाने लगते हैं। पास आकर भगवान पड़ोस में हमारी तरह रहने लगें तो हम उनकी भी बखिया उधेड़ डालें। इसीलिए सत्ता-लोलुप संत और नेता हम से दो गज दूर ही रहते हैं।
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