दाम से 20% नीचे है गार्डन सिल्क

गार्डन सिल्क मिल्स का जिक्र इसी कॉलम में हम तीन बार कर चुके हैं कि इसका पी/ई अनुपात काफी कम है और इसमें बढ़त की काफी गुंजाइश है। पहली बार 16 अगस्त को, जब बीएसई में इसका बंद भाव 83.60 रुपए था। फिर 30 अगस्त को जब ठीक पिछले कारोबारी दिन अचानक यह एकबारगी दस फीसदी से ज्यादा उछलकर ऊपर में 95.85 रुपए तक चला गया था। और तीसरी बार 30 सितंबर को जब यह 102.80 रुपए पर बंद हुआ था। कल यह 115 रुपए पर पहुंच गया है। इस तरह पहली बार जिक्र करने के बाद से यह शेयर पिछले चार महीनों में करीब 37 फीसदी बढ़ चुका है।

अभी तक हम बाजार की चर्चाओं के आधार पर यूं ही चलते-चलते गार्डन सिल्क (बीएसई – 500155, एनएसई – GARDENSILK) में निवेश की सिफारिश करते रहे हैं। लेकिन अब हम ठोस रिसर्च के आधार पर कह रहे हैं कि इस शेयर का अंतर्निहित मूल्य 140 रुपए है। यानी, अभी इसमें 20 फीसदी से ज्यादा बढ़त की गुंजाइश बाकी है। यह आकलन है केयर रेटिंग्स की रिसर्च रिपोर्ट का। वैसे भी इस शेयर की मौजूदा बुक वैल्यू 136.35 रुपए है, जबकि 115 रुपए के भाव पर उसका पी/ई अनुपात 6.99 निकलता है क्योंकि इसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 16.45 रुपए है।

गार्डन सिल्क भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की अग्रणी कंपनियों में से एक है। गुजरात के सूरत में वरेली व जोलवा में उसकी दो उत्पादन इकाइयां हैं। शायद इसीलिए साडियों वगैरह में उसका ब्रांड गार्डन वरेली चलता है। इसकी स्थापना 1979 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में हुई थी और तब इसका नाम वरेली वीव्स प्रा. लिमिटेड हुआ करता था। 1987 में यह पब्लिक लिमिटेड बनी और इसका नया नामकरण हुआ। वह पार्शियली ओरिएंटेड यार्न (पीओवाई), प्रोसेस्ड यार्न, कॉटन टेक्सटाइल, पॉलिएस्टर, सिल्क, फैब्रिक, जॉर्जेट, शिफॉन व जैक्कार्ड जैसे कपड़े बनाती है। रेडीमेड परिधानों में वह साड़ियों के अलावा बिजनेस शर्ट भी बनाती है। देश भर में उसके 70 से ज्यादा डीलर हैं। कंपनी के खुद के 12 डिपो हैं और 65 से ज्यादा शहरों में उसकी 290 अधिकृत रिटेल दुकानें हैं।

केयर इक्विटी रिसर्च ने उसे 5 में से 3 का फंडामेंटल ग्रेड दिया है। मतलब, कंपनी का मूलाधार अच्छा है। कंपनी का पॉलिएस्टर यार्न कारोबार अगले दो सालों तक 7 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने का अनुमान है। पॉलिएस्टर चिप्स के बाजार में वह अग्रणी और बेहद प्रतिस्पर्धी स्थिति में है। यार्न बिजनेस में वह क्षमता बढ़ा रही है। इसमें पॉलिएस्टर चिप्स की बनिस्बत ज्यादा लाभ मिलता है। केयर का इतना जरूर मानना है कि पॉलिएस्टर यार्न बाजार में अतिशय क्षमता के चलते कच्चे माल की कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर कंपनी की लाभप्रदता पर पड़ सकता है।

केयर इक्विटी रिसर्च ने तमाम पहलुओं के जोड़-घटाव, डिस्काउंटेड कैश फ्लो और उद्यम मूल्य व सकल लाभ (EV/EBITDA) अनुपात जैसे कारकों के आकलन के बाद वित्त वर्ष 2011-12 के लिए माना है कि यह शेयर अपने ईपीएस से 6 गुना या पी/ई अनुपात पर भी ट्रेड होगा तो इसका मौजूदा अंतर्निहित मूल्य (CIV या करेंट इनट्रिंजिक वैल्यू) 140 रुपए निकलता है।

कंपनी की इक्विटी 38.29 करोड़ रुपए है जो 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 56.30 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है, जबकि डीआईआई के पास इसके 1.41 फीसदी और एफआईआई के पास महज 0.02 फीसदी शेयर हैं। असल में इन संस्थागत निवेशकों ने इस साल जून से सितंबर के बीच कंपनी में अपना निवेश घटाया है। वैसे कंपनी में एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखनेवालों में आईएफसीआई (1.34 फीसदी), आईएल एंड एफएस ट्रस्ट (6.89 फीसदी), रिकी कृपलानी (2.65 फीसदी) और हरीश केशवानी (4.20 फीसदी) शामिल हैं। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक प्रफुल ए शाह हैं।

सितंबर 2010 की तिमाही में कंपनी ने एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद 887.18 करोड़ रुपए की शुद्ध बिक्री पर 25.27 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले की इसी अवधि में उसकी बिक्री 597.88 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 10.17 करोड़ रुपए था। कंपनी की अग्रगति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी की शुद्ध बिक्री 2514.89 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 63.20 करोड़ रुपए था। यह भी बता दें कि कंपनी पिछले पांच सालों से लगातार प्रति शेयर 1.50 से लेकर 1.80 रुपए का लाभांश देती रही है। जाहिर है कि घरेलू खपत के दम पर खड़ी इस कंपनी को आम निवेशक चाहें तो अपने पोर्टफोलियो में लंबे समय के लिए शामिल कर सकते हैं क्योंकि कंपनी ज्यों-ज्यों लाभ कमाती जाएगी, उसके शेयर का भाव भी उसी गति से बढ़ता जाएगा। वैसे भी, गार्डन वरेली बड़ा देशज और जाना-पहचाना ब्रांड है।

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