आज विदेशी संस्थागत या पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) हमारे शेयर बाज़ार के दिशा-निर्धारक बन गए है। पूरे बाजार ही नहीं, तमाम अच्छे-खासे मजबूत स्टॉक्स की नियति उनकी मुठ्ठी में है। वे ही इनका रुख तय करते हैं। कोई फंडामेंटल नहीं, केवल विदेशी धन या निवेश का प्रवाह भावों को तय करने लगा है। मौजूदा साल 2022 में जुलाई से अब तक भारतीय शेयर बाज़ार में 57,579 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद के बावजूद उन्होंने कुल मिलाकर 1,59,779 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की है। सामने से बराबर देशी संस्थाएं खरीदे जा रही हैं। फिर भी एफपीआई का रवैया इतना निर्णायक है कि निफ्टी-50 इस साल 3 जनवरी से 3.51% नीचे चल रहा है। सवाल उठता है कि क्या एफपीआई फिर से अपने बाज़ार में तेज़ी के वाहक बनेंगे? अब बुधवार की बुद्धि…
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