प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मानें तो देश में रोज़गार की कहीं कोई कमी नहीं है। परसों लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने 18 सालों का रिकॉर्ड रोज़गार पैदा किया है। लगा जैसे कि वे सरकार का कोई आंकड़ा दे रहे हों। लेकिन वे दरअसल 23 मई को आए विदेशी बैंक एचएसबीसी के परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के आधार पर यह दावा कर रहे थे। इस इंडेक्स में कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है। बस, इतना भर कहा गया कि भारत में निजी क्षेत्र ने इस मई माह में 2006 के बाद का सबसे ज्यादा रोज़गार सृजन किया। इससे पहले भारत सरकार ने दावा किया था कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश में बेरोज़गारी की दर 2017-18 के 6% से घटकर 3.2% आ गई है। लेकिन आंकड़ों को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि 15 से 29 साल के युवाओं और शिक्षित लोगों में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘2024 इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट’ के मुताबिक यहां श्रमशक्ति में युवाओं की भागादारी साल 2000 के 54% से घटकर अब 42% पर आ चुकी है। साल 2022 में बेरोज़गारों में शिक्षित युवाओं का हिस्सा साल 2000 के 54.2% से बढ़कर 65.7% हो चुका है। डेमोग्राफिक डिविडेंड का विनाश तो आखिर देश में किस विकास का शोर? अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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