जी-20 का मूल मकसद राजनीतिक नहीं, बल्कि विश्व की आर्थिक समस्याओं का समाधान निकालना है। इस बार शिखर सम्मेलन में विश्व अर्थव्यवस्था से संबंधित दो ही प्रमुख मुद्दे उभर कर सामने आए। एक, क्रिप्टो करेंसी का संचालन और दो, स्वास्थ्य संबंधी आकस्मिक चुनौतियों से निपटना। क्रिप्टो करेंसी पर साफ हो गया कि इस पर बैन नहीं लगाया जाएगा, लेकिन इसके नियमन पर कोई सहमति नहीं बनी। वहीं, स्वास्थ्य के संबंध में पेशकश की गई कि इस पर एकल नज़रिया अपनाया जाए और पशुओं, पेड़-पौधों या मनुष्यों की बीमारियों के लिए समान पद्धति अपनाई जाए जिसका फोकस एंटी-माइक्रोबिएल प्रतिरोध को सुलझाना हो। यह वसुधैव कुटुम्बकम जैसा ही गोलमोल जुमला है और इसका कुछ भी व्यावहारिक नतीजा निकलना नामुमकिन है। वैसे भी अपने यहां बड़ी पुरानी कहावत है – एकय साधै सब सधय, सब साधै सब जाए। भारत ने जी-20 का अध्यक्ष होने के नाते प्रस्ताव रखा था कि डिजिटल हेल्थ प्रोग्राम के लिए 20 करोड़ डॉलर का फंड बनाया जाए। लेकिन इसमें अंशदान से लेकर स्थाई मंच बनाने तक पर कोई राय नहीं बनी। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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