दुनिया के 19 देशों और यूरोपीय संघ के समूह जी-20 का गठन सितंबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय मुद्दों पर वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैकों के गर्वनरों की चर्चा के लिए किया गया था। तभी से हर साल इस समूह की रूटीन बैठक होती रही है। साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सालाना बैठक में राष्ट्र प्रमुखों को शामिल किया जाने लगा। भारत इससे पहले साल 2003 में जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है। तब अटल बिहारी वाजपेयी हमारे प्रधानमंत्री और यशवंत सिन्हा वित्तमंत्री थे। लेकिन बीस साल बाद 2023 में जी-20 के अध्यक्ष बनने पर देश में जैसा शोर मचाया जा रहा है, वह अप्रत्याशित है। हर साल कोई न कोई देश जी-20 का अध्यक्ष बनता है। लेकिन कोई इतना डंका नहीं पीटता। असल में मोदी सरकार ने इस अंतरराष्ट्रीय रूटीन बैठक को देश के भीतर अपनी छवि चमकाने का साधन बना लिया है। अन्यथा, देश के हर राज्य में इसके किसी न किसी आयोजन और हर छोटे-बड़े सरकारी विज्ञापन में जी-20 का का लोगो लगाने का कोई तुक नहीं था। बस शब्दों का शोर और प्रचार का नाद। बाकी जी-20 निल बटे सन्नाटा। अब मंगलवार की दृष्टि…
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