समाज है तो सहयोग है। लेकिन हम पोटली पर हाथ धरे बैठे रहें और कोई दूसरा हमारा फायदा करा देगा, यह सोच ही मूलतः गलत है। इसी का फायदा उठाकर दूसरे हमारी जमापूंजी पर हाथ साफ कर जाते हैं।
2011-07-01
समाज है तो सहयोग है। लेकिन हम पोटली पर हाथ धरे बैठे रहें और कोई दूसरा हमारा फायदा करा देगा, यह सोच ही मूलतः गलत है। इसी का फायदा उठाकर दूसरे हमारी जमापूंजी पर हाथ साफ कर जाते हैं।
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