जिन देशों ने उच्च-आय या विकसित देश तक का सफर तय किया है, उन्होंने दो खास काम किए। एक, छोटे से लेकर बड़े उद्योग-धंधों को बढ़ाने का सचेत फैसला और दो, विदेश व्यापार को खास तवज्जो। ये दोनों ही काम भारत की विकासयात्रा की मूल चुनौती बने हुए हैं। वैसे तो वैश्विक सुस्ती को देखते हुए विदेश व्यापार बढ़ाना काफी मुश्किल काम हो गया है। लेकिन जितना भी बढ़े, उसके लिए मैन्यूफैक्चरिंग को चमकाना ज़रूरी है। अभी तक हमारे निर्यात में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों का बड़ा योगदान रहा है। लेकिन नोटबंदी व असमय आए जीएसटी ने उनकी कमर तोड़ रखी है। रिजर्व बैंक की अध्ययन रिपोर्ट का कहना है कि विकसित देश बनने के लिए हमारे जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान कम से कम 25% होना चाहिए। मनमोहन सरकार ने 2012 में इसे 2022 तक 25% और मोदी सरकार ने 2014 में इसे 2025 तक 25% पर पहुंचाने का लक्ष्य बनाया था। लेकिन यह 2012 में 16% था और अब भी 16% पर अटका पड़ा है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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