दस साल हो गए। क्या अच्छे दिन सभी के आ गए? किसानों की आय 2022 में दोगुनी होनी थी। हो गई क्या? हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोज़गार मिलना था। मिला क्या? पांच ट्रिलियन डॉलर या पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था मार्च 2025 तक बन जानी थी। बन पाएगी क्या? खुद सरकार मानती है कि हमारा जीडीपी ऊपर-ऊपर 10.5% बढ़ जाए, तब भी मार्च 2025 तक हमारी अर्थव्यवस्था 3,27,71,808 करोड़ रुपए यानी 3.95 ट्रिलियन डॉलर तक ही हो पाएगी। साल भर बाद भी पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए इसे 2025-26 में 26.58% बढ़ना होगा, जो नितांत असंभव है। फिर भी मोदी सरकार का कमाल कि वो पब्लिक को 2047 में विकसित भारत का सपना धड़ल्ले से बेच रही है। कहीं कोई जवाबदेही नहीं। अंदाज़ वही ब्रह्मा जैसा कि बस कह दिया कि एकोहम बहुष्यामः और वो एक से अनेक बनता गया! दस साल पहले 2004 से 2014 तक यूपीए शासन में अर्थव्यवस्था के हाल पर श्वेत-पत्र ले आए। लेकिन न तो अपने दस साल के शासन के वादों का हिसाब दिया और न ही बताया कि 1947 में भारत को विकसित देश बनाने के लिए प्रति व्यक्ति आय को 2500 से 21,664 डॉलर तक कैसे पहुंचाएगे? अब बुधवार की बुद्धि…
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