इकनॉमिक्स टाइम्स की खबर के बाद सरकार परेशान हो गई। उसने इस खबर को ही अफवाह बताते हुए कहा कि यह बात एकदम निराधार है कि केंद्र सरकार विदेशी ऋण के बोझ के नीचे दबी है। उसने सफाई दी कि देश पर चढ़े कुल 620.7 अरब डॉलर के ऋण में से सरकार का ऋण केवल 130.8 अरब डॉलर या 21.07% है। यह भी सच है कि देश को अगले नौ महीनों में 267.7 अरब डॉलर का ऋण चुकाना है। पर, इसमें से केंद्र सरकार को मात्र 7.7 अरब डॉलर देने हैं जो कुल देनदारी का 2.88% ही बनता है। यह सफाई अपनी जगह है। लेकिन खबर को ही अफवाह बता देना तो गलत है। फिर देश में चाहे कंपनियां लाएं या एनआरआई भेजें, विदेशी मुद्रा तो सरकारी खज़ाने में ही जाती है जिसकी अंतिम देनदारी सरकार की बनती है। अब बुधवार की बुद्धि…
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