आज के दौर में शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग से कमाने की सोचनेवालों को बेहद सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि झूठ, छद्म व फ्रॉड का दौर चल रहा है, जिसका सच अमृतकाल का नाम देकर छिपाने का अभियान चलाया जा रहा है। जब गुजरात का किरन पटेल कश्मीर जैसे संदेशनशील राज्य में महीनों तक सरकार को चरका पढ़ाता रहा, पीएमओ से ही गहरे ताल्लुकात रखने का दावा करनेवाले संजय शेरपुरिया को करोड़ों की ठगी करनेऔरऔर भी

आजकल सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक और यू-ट्यूब पर शेयर बाज़ार से कमाने के गुर सिखानेवाले संतन की भीड़ लगी हुई है। चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर – जैसा माहौल है। गजब श्रद्धा और विश्वास नज़र आता है। ऐसे संतगण तमाम चार्ट और फॉर्मूले चस्पा कर बताते रहते हैं कि उनके पास ऐसी विद्या है जिससे शेयरों में ट्रेडिंग से लेकर निवेश तक से जमकर कमाई की जा सकतीऔरऔर भी

जब हर तरफ सोशल मीडिया पर निवेश के गुर सिखानेवाले घंटालों की बाढ़ आई हो, तब हमेशा एक बात याद रखनी चाहिए कि अपना अनुभव ही हमारा सबसे बड़ा शिक्षक या गुरु होता है। यही प्रज्ञा या प्रत्यक्ष ज्ञान है। हर साल हमें कुछ न कुछ प्रज्ञा देकर जाता है। वित्तीय बाज़ार पर आई हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में म्यूचुअल फंडों की एसआईपी स्कीम निवेशकों की पहली पसंद रही है। इस दौरान 62%औरऔर भी

गली-मोहल्ले, गांव, कस्बों व शहरों में कहीं जाकर देख लें। आम भारतीय इतने उद्यमी हैं कि तिनके का सहारा पाकर भी जीने का सलीका खोज लेते हैं। लेकिन बेहतर काम-धंधे व कमाई के लिए उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कौशल चाहिए। ऐसा कौशल, जो उद्योगों से लेकर सेवा क्षेत्र तक में तेज़ी से इस्तेमाल हो रही मशीनों को चलाना सिखा सके। उद्योग धंधों के लिए यकीनन इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स की व्यववस्था चौकस होनी चाहिए। लेकिन जब शिक्षाऔरऔर भी

देश में श्रम की भरमार है। हमारी 67.3% आबादी की उम्र 15 से 59 साल है, जबकि 26% आबादी 14 साल तक की है। हमारे यहां 7% से भी कम लोग 60 साल के ऊपर के हैं, जबकि अमेरिका में ऐसी आबादी 17%, यूरोप में 21% और जापान में 32% है। छह साल बाद 2030 में भारत में कामकाजी उम्र वालों की आबादी 68.9% होगी। तब 28.4 साल की मीडियन उम्र के साथ भारत दुनिया का सबसेऔरऔर भी